Skip to content
Menu

The Kerala Story में एक शालिनी (अदा शर्मा) है। ये बिचारी इतनी सीधी है कि इसे कोई बताए कि चलो सीरिया चलना है, वहाँ बड़ी सुंदर नदी है, बहुत बढ़िया मकान है, तो ये खुश हो जाती है। इस भोली बकरी को कोई कह दे कि खाना खाने से पहले अल्लाह को थैंक यू नहीं बोला तो दोज़ख की आग में जलना पड़ता है, तो ये डर जाती है।

(फिल्म, मूवी रिव्यज़ के लिए Whatsapp ग्रुप फॉलो करें)
https://chat.whatsapp.com/KCxMMCPXgRYGEJyo32UFGE

क्या  है कहानी The Kerala Story की?

शालिनी kerala की एक ऐसी फैमिली से है जहाँ उसके साथ उसकी माँ और नानी रहते हैं। तीनों के बीच आपस में बहुत प्यार है। लेकिन इसकी माँ इसे नर्सिंग पढ़ाने के लिए नैशनल कॉलेज भेजती है और वहाँ हॉस्टल में शालिनी को गीतांजलि, निमाह और आसिफ़ा मिलती हैं।

यहाँ क्रिएटिव डायरेक्टर विपुल शाह बहुत अच्छे से खेल गए हैं। शालिनी ट्रडिशनल हिन्दू है, जिसे होली-दिवाली त्यौहार सिर्फ अच्छा-अच्छा खाना खाने की वजह लगते हैं। निमाह ईसाई लड़की है जो अपने धर्म के प्रति बहुत ईमानदार है, गीतांजलि नास्तिक है, उसके पिता कम्युनिस्ट हैं। आसिफ़ा कट्टर मुस्लिम हिजाब वाली लड़की है जो इन दोनों को बताती है कि जहन्नुम की आग का टेम्परचर नॉर्मल आग से 70 गुना ज़्यादा होता है। मायने मरने के बाद जैसे मुर्गा चिकन बन जाता है, वैसे ही तुम सब काफिर रोस्टेड हो जाओगे क्योंकि तुम तो इस्लाम मानते नहीं, दुनिया ही इस्लाम से शुरु हुई, इस्लाम पर खत्म होती है।

निमाह इसे बेवकूफी करार देती है क्योंकि वो क्रिश्चियानिटी से बाहर नहीं जाना चाहती।

लेकिन फातिमा को तो इन तीनों लड़कियों को कन्वर्ट करने का टारगेट मिला है, इसके लिए 3 हैन्सम से लड़के भी मिले हैं जो इतना पोलाइट बिहेव करते हैं कि घर की गाय भी शरमा जाए।

the kerala story

ये तीनों ‘लव जिहाद’ करने निकल पड़ते हैं। अब तीनों लड़कियों का क्या होता है, इसका कुछ अंश आप ट्रेलर देखकर अंदाज़ा लगा चुके होंगे और बाकी आप फिल्म देखकर जान पायेंगे।

फिल्म की राइटिंग ऊपर नीचे होती रहती है। एक के बाद एक घटनाक्रम कम से कम इन्टरवल तक तो बाँधे रखते हैं। इसके बाद Kerala Story थोड़ी स्लो होकर documentary की शेप लेने लगती है। सूर्यपाल सिंह ने हर संभव तरीके से डायरेक्ट मैसेज कॉनवे करने की कोशिश की है, जो फीचर फिल्ममेकिंग के लिहाज़ से अच्छा नहीं लगता। बातें ढके छुपे अंदाज़ में, दर्शक की समझ-बूझ पर भी छोड़ी जाएँ तो बेहतर फिल्म लगती है।

लेकिन वहीं, डायरेक्टर सुदीप्तो सेन की पूरी कोशिश रही है कि फिल्म देखने वाला, खासकर लड़कियाँ; हर क्रूरता को अच्छे से समझे, मुस्लिमों से डरे, आइंदा के लिए होशियार रहे।

उदाहरण के लिए – अफगानिस्तान में एक जगह गाड़ी रुकती है, शालिनी बाहर निकलती है और देखती है एक औरत को आधा ज़मीन में दफनाया हुआ है और बाकी आधे शरीर पर इतने पत्थर मारे हैं कि वह मर चुकी है।

जैसे – एक लड़की को नशा कराकर मुस्लिम लड़के उसका वन बाई वन रेप कर रहे हैं, तो रेप दिखाया है। हालाँकि भारतीय सेंसर बोर्ड को ध्यान में रखते हुए न्यूडीटी को प्रोमोट नहीं किया है। सेक्स सीन पर्दे और लाइट के इफेक्ट के साथ दिखाएं हैं कि बुरा भी लगता है और अश्लीलता भी नहीं फैलती।

Dialogues की बात करूँ तो धर्म पर किये गए तकरीबन सारे ही dialogues मारक हैं। इन्टेन्शनली बुरा लगाने के लिए लिखे गए हैं।

एक जगह फातिमा कहती है “गॉड तुम्हें कैसे बचायेगा? वो गॉड जो अपने बेटे को सूली पर चढ़ने से नहीं रोक पाया, वो कैसे तुम्हारी हिफ़ाज़त करेगा?”

बाकी शिव वाला dialogue तो आपने ट्रेलर में भी सुना होगा।

विरेश श्रीवल्सा और बिशाख ज्योति का बनाया म्यूजिक अच्छा है। बैकग्राउन्ड स्कोर फिल्म को सपोर्ट करता है।

प्रशान्तनु महापात्रा का कैमरा वर्क बहुत इंटेन्स, बहुत तीखा है। लिपस्टिक लगाने के जुर्म में सीरिया में जिस तरह हाथ काटता दिखाया गया है, वो फ़ॉरेन फिल्में न देखने वाली ऑडियंस के लिए बहुत विभस्त सीन हो सकता है। पर ओवरऑल कैमरा वर्क और लाइटिंग कश्मीर फाइल्स से कहीं ऊपर है।

साथ ही, मेकअप टीम को क्रेडिट देना भी ज़रूरी है, सीरिया की धूप में जले चेहरे और उतरती खाल दिखाने के लिए बेहतरीन मेकअप किया गया है।

Production Design बहुत बहुत शानदार हुआ है। आप अगर फिल्म देखें, तो फॉरग्राउन्ड से ज़्यादा बैकग्राउन्ड पर गौर करें, हर सीन में बैकग्राउन्ड अपनी कहानी कहता चल रहा है।

The Kerala Story

अदाह शर्मा ने शानदार काम किया है। शुरुआत में वो थोड़ी ओवरएक्टिंग करती लगती हैं, पर आगे कैरिक्टर पर बेहतरीन तरीके से पकड़ बनाती हैं।

सिद्धि इडनानी (गीतू) की एक्टिंग लाजवाब है, उनको सेकंड लीड कह सकते हैं।

सोनिया बलानी (आसिफा) और योगिता बिहानी (निमाह) ने भी गजब एक्टिंग की है। योगिता बिहानी का एक मोनोलॉग डायरेक्टर के शब्दों को बाहर ला रहा है, उस सीन में योगिता के इक्स्प्रेशन्स देखने लायक हैं।

कुलमिलाकर The Kerala Story टेक्निकली बेहतर शूट हुई है, हालाँकि राइटिंग पार्ट डाक्यूमेंट्री वाला है। अंत में तीन में से दो लड़कियों के घरवालों के टेस्टीमोनियल्स भी दिखाए गए हैं। शालिनी उर्फ फातिमा के बारे में भी जानकारी दी गई है।

The Kerala Story पे अगर प्रापगैन्डा फैलाने के आरोप लग रहे हैं तो वो भी पूरी तरह से गलत नहीं हैं क्योंकि, 32000 मिसिंग लड़कियों के आँकड़ें को ट्रेलर में कैश कर, फिल्म मोनोलॉग के द्वारा हर साल लगभग 2800 लड़कियों के कन्वर्शन की स्टेटमेंट देती है। 32000 मिसिंग लड़कियों पर दिया गया अंत में ये स्टेटमेंट भी, सालिड नहीं लगता।

the kerala story

एक ईसाई लड़की को सबसे स्ट्रॉंग दिखाया जाता है, वो इतनी कट्टर ईसाई है कि उसे कोई इस्लाम में कन्वर्ट नहीं कर सका तो उसका गैंग रेप शुरु कर दिया गया। वो ईसाई लड़की ही केस लड़ रही है। केरल के ईसाई खुद कन्वर्ट हुए ईसाई हैं, लेकिन जैसा कि सुनने में आया है, फिल्म में अच्छा मोटा फाइनैन्स क्रिसचियन कम्यूनिटी का भी लगा है तो फिल्म में क्रिसचीयन्स को बहुत अच्छा पोट्रे किया है।

Kerala Story देखकर टारगेट की, बाकायदा मुस्लिम्स को विलन दिखाने की कोशिश  साफ नज़र आती है। कश्मीर फाइल्स की सक्सेस को भी कैश करने की कोशिश साफ दिखाई पड़ती है।

लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि पूरी की पूरी कहानी ही फ़र्ज़ी है। जैसा मैं सौ बार लिख बोल चुका हूँ। कन्वर्ट होकर एक लड़की सीरिया जाकर जहन्नुम झेले या 32000 लड़कियाँ, जो गलत है वो गलत है।

कन्वर्शन भी एक पैराडाक्स है। जो लोग कहते हैं कि “फलाना एक मुट्ठी चावल के लिए धर्म बदल लिया” वो ये भूल जाते हैं कि ज़िंदा रहने के लिए कम से कम एक मुट्ठी चावल तो चाहिए ही।

कन्वर्ट हुए लोग इतना अपने नए धर्म का गुणगान करते हैं जितना सदियों से फॉलो करते मौलवी-पादरी भी नहीं करते। नया-नया मुल्ला अल्लाह-अल्लाह ज़्यादा करता है। ये लोग भूल जाते हैं कि जड़ें छोड़ा हुआ पेड़ सिर्फ फर्नीचर बनाने या आग तापने के काम आता है।

इसके बावजूद मैं चाहता हूँ कि इस फिल्म को लोग देखें। सिर्फ हिन्दू लड़कियाँ ही नहीं, हर धर्म के लड़के लड़कियाँ और उनके माँ-बाप ये फिल्म देखें।
इसलिए नहीं कि उन्हें लव-जेहाद से बचना है, बल्कि इसलिए देखें कि उनकी मर्ज़ी के खिलाफ जो भी उन्हें जबरन बदलने की कोशिश कर रहा है, वो भला इंसान नहीं है।

यह भी पढ़ें – Ela Veezha Poonchira फिल्म मीठा ज़हर है तो लोकेशन है बेहद खूबसूरत

The Kerala Files देखें और तीन बेसिक बातें बहुत अच्छे से समझें

1 – ज़िंदगी में किसी भी ऐसे के साथ नहीं चलना है, जिसका सारा ज़ोर आपको बदलने पर है। सेम ही, आपको किसी की ज़िंदगी में उसको बदलने के लिए नहीं घुसना है। जो जैसा है, चाहें वो आदतों से हो या धर्म से, वैसा ही भला है।

2 – बच्चों को अपनी संस्कृति और सभ्यता के बारे में तो बताना ही है, साथ ही साथ भारत में पनप रही हर सभ्यता हर धर्म के बारे में निष्पक्ष बताना है। निष्पक्ष इसलिए कि मैं खुद ऐसी दो लड़कियों को जानता हूँ कि जिन्होंने हिन्दू होकर सिर्फ इसलिए मुस्लिम बॉयफ़्रेंड्स बनाए कि उनके घर में हर वक़्त मुसलमानों के खिलाफ ज़हर बोया जाता था।

आप बस सच बताएं कि हमारी संस्कृति में कैसी जीवन शैली आदर्श है, दूसरे के धर्म में किस तरह जीना सिखाया जाता है, बाकी फैसला बच्चों पर छोड़ दें।

3 – सेक्स हौवा नहीं है, बिल्कुल नहीं है। अगर मॉडर्न जनरेशन संग उनके माँ-पिता इस बात को मान चुके हैं तो साथ ही ये भी समझे कि शादी से पहले हुई प्रेग्नेंसी भी हौवा नहीं है। अबॉर्शन करवाना नाक कटाना नहीं है। सेक्स का परपज़ ही प्रेग्नेंसी है  पर शादी से पहले बच्चे का होना भी बिना तैयार हुए ज़िम्मेदारी बढ़ाना है। ये न हो, सबसे अच्छी बात है। पर किसी ने साज़िशन ऐसा कर दिया है या गैरइरादतन हो गया है, तो भी इससे निपटा जा सकता है।

अगर कोई लड़का लड़की के प्रेग्नेंट होने पर उससे मिसबिहेव करने लगे तो पेरेंट्स का सपोर्ट सबसे ज़रूरी है। इस बुराई में भी ये अच्छाई तो है न कि एक लंबे बंधन से पहले ही समझ आ गया कि लड़का साथ निभाने वालों में से नहीं था। ऐसे सिचूऐशन में साथ न देना, ज़लील करना, परिवार को कमज़ोर करता है और धर्मांध गिद्ध कमज़ोर शिकार पहले चुनते हैं।

बादबाकी, The Kerala Story से सेक्स (न्यूडीटी नहीं) है, वॉइलेन्स है, कटे-फटे दृश्य हैं जो अगर आप पूरे परिवार के साथ सहज होकर नहीं देख सकते हैं तो अलग-अलग देखिए, पर ज़रूर देखिए।

इस उम्मीद के साथ कि इस दुनिया में अपनी मर्ज़ी दूसरों पर थोपने की परंपरा कभी तो खत्म होगी।

ये लेख पसंद आए तो इसे खूब शेयर करें, इस वेबसाइट को सपोर्ट करने के लिए विज्ञापनों पर क्लिक करें। धन्यवाद

(फिल्म, मूवी रिव्यज़ के लिए Whatsapp ग्रुप फॉलो करें)
https://chat.whatsapp.com/KCxMMCPXgRYGEJyo32UFGE

सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’

फिल्में

वेब सीरीज

किस्से


सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'

मैं सिद्धार्थ उस साल से लिख रहा हूँ जिस साल (2011) भारत ने वर्ल्डकप जीता था। इस ब्लॉगिंग के दौर में कुछ नामी समाचार पत्रों के लिए भी लिखा तो कुछ नए नवेले उत्साही डिजिटल मीडिया हाउसेज के लिए भी। हर हफ्ते नियम से फिल्म भी देखी और महीने में दो किताबें भी पढ़ी ताकि समीक्षाओं की सर्विस में कोई कमी न आए।बात रहने की करूँ तो घर और दफ्तर दोनों उस दिल्ली में है जहाँ मेरे कदम अब बहुत कम ही पड़ते हैं। हालांकि पत्राचार के लिए वही पता सबसे मुफ़ीद है जो इस website के contact us में दिया गया है।

18 Comments

  1. Vikkram Dewan
    May 5, 2023 @ 4:09 PM

    बहुत बढ़िया रिव्यू।

    Reply

  2. Anurag Vatsal
    May 5, 2023 @ 4:16 PM

    Interesting to read

    Reply

  3. Neeraj Mishra
    May 5, 2023 @ 4:18 PM

    शानदार, जबरदस्त रिव्यू 👏👏👏🌹🌹🌹🌹

    Reply

  4. नेहा अग्रवाल नेह
    May 5, 2023 @ 11:10 PM

    शानदार लिखा

    Reply

  5. दुर्गा जाट
    May 6, 2023 @ 12:21 AM

    तटस्थ होकर लिखी गई समीक्षा… बहुत शानदार।👌

    Reply

  6. Vibhaa Saigal
    May 6, 2023 @ 10:58 AM

    Bhot shaandaar review….zaroor dekhungi ye movie

    Reply

  7. Yogesh Aggarwal
    May 6, 2023 @ 3:36 PM

    Truly said. Well done dear.

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stop Copying ....Think of Your Own Ideas.