Solo Trip To Rishikesh
अगर आपने फर्स्ट पार्ट नहीं पढ़ा है तो जरुर पढ़े- Solo Trip To Rishikesh: धत्त नीर वाटरफॉल और मेरे बीच KGF का रॉकी आ गया!
गंगा मईया के गुस्से को देखकर आर्का बहुत परेशान हो गए, कहने लगे- “इतने तूफान में हम हॉस्टल कैसे जाएंगे?”
मैंने उसे तस्सली दी “अरे जब जाने का टाइम आएगा तो सब शांत हो जाएगा। अभी जहाँ हैं वहाँ focus करते हैं। कुछ देर बाद क्या होगा ये सोचने लगे तो अभी जो खाना खा रहे हैं उसका taste खराब हो जायेगा”
आर्का कुछ देर तक हैरानी से मेरी तरफ देखते रहे। फिर उसी expression में बोले “तुम तो बिल्कुल कृष्णा की तरह बातें करती हो”
मैं बस मुस्कुराने लगी।
डिनर खत्म करते हुए मेरा नाम भी रख दिया गया – “लेडी कृष्णा”
हमने डिनर खत्म किया और बाहर निकले तो देखा, सब शांत! कोई तूफान नहीं, कोई बिजली-बारिश नहीं, बस धीरे-धीरे ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी। मैं बिना कुछ बोले बाहर निकली और आँखें बंद करके इस हवा को चेहरे पर महसूस करने लगी। आर्का पूछ बैठे “तुम्हारा भगवान से डायरेक्ट कनेक्शन है क्या?”
“हाहा, नहीं बिल्कुल नहीं, मैं बस हर सिचुएशन में पाज़िटिव रहती हूँ और जहाँ हूँ, वहाँ इन्जॉय करने की कोशिश करती हूँ, जहाँ जाऊँगी, वहाँ क्या होगा, ये तो जब जाऊँगी तब देखा जायेगा”
अब आर्का मुस्कुरा दिए।
लंबी वाक के बाद हम हॉस्टल पहुंचे। हॉस्टल के कॉमन रूम में कुछ लोग बैठे हुए थे जिनमें आर्का के दोस्त भी थे। आर्का ने मुझे उनसे इंट्रोड्यूस कराया। हालांकि मैं इतनी थक गई कि मुझे ध्यान ही नहीं है कि मैं किन लोगों से मिली थी और किस चेहरे का कौन सा नाम था! थकान ज्यादा थी इसलिए मैं बेड पर लेटते ही सो गई।
नेक्स्ट डे मुझे जल्दी उठना था, मेरा प्लान नीर waterfall तक trek करने का था। नीर वॉटरफॉल मेरी बकेट लिस्ट में एक ऐसी जगह थी जहाँ जाने का प्लान मैं घर से निकलने से भी पहले कर चुकी थी। नीर वॉटरफॉल, लक्ष्मण झूले से 5 किलोमीटर दूर था।
इसके बारे में जो लोग नहीं जानते हैं उन्हें बता दूँ कि नीर वॉटरफॉल तीन झरनों का एक मिश्रण है जो 25 फीट ऊंची चट्टान से गिरता है। घने जंगल के अंदर इस खूबसूरत झरने को देखने के लिए मैं बहुत एक्साइटेड थी। मैंने पहले कभी वाटरफॉल में नहाने का एक्सपीरियंस नहीं किया था। लेकिन मैं इस बार पूरी तैयारी के साथ गई थी।
हालांकि मेरे पैरों में दर्द था फिर भी वाटरफॉल जाने की एक्साइटमेंट इतनी था कि बेचारा दर्द भी शांत होकर कोने में बैठा सोच रहा था कि एक बार वापस घर की बस पकड़ो, मैं तब तुम्हें बताऊँगा।
मैं सुबह 6 बजे उठ गई। वाटरफॉल के खुलने का टाइम 8 बजे का था और मेरे बनाए प्लान के अनुसार मुझे 7.30 तक निकल जाना था। मैं तैयार होकर हॉस्टल के कॉमन रूम में ब्रेकफास्ट करने पहुँची। वहां एक लड़का पूरा ध्यान अपने लैपटॉप पर लगाए बैठा हुआ था।
उसने मुझे देखा मैंने उसे देखा पर न उसने मुझसे कुछ कहा और मैंने भी नहीं टोका। चाय और पराठे का ऑर्डर देकर मैं वेट करने लगी। उसने फिर मुझे देखा तो मैंने स्माइल की। तब उसने ऐसा पूछ ही लिया
“आप प्रगति हो न?”
“हाँ, हूँ तो सही”
“अरे मैंने पहचाना नहीं था इसलिए इग्नोर कर दिया। सो सॉरी, मेरा नाम पीयूष हैं”
(पीयूष से मैं बीती रात मिली थी लेकिन बताया था न कि इतनी ज़्यादा थकी हुई थी कि किस चेहरे के साथ कौन सा नेम टैग है ये याद ही नहीं रहा था, फिर ज्यादा बात भी नहीं हुई थी)
Piyush
पीयूष एक coder है और एक ट्रेवलर भी। काम अपनी जगह है लेकिन उसे घूमना-फिरना बहुत पसंद है। आए दिन कहीं न कहीं जाता रहता है। पहाड़ों से बहुत प्यार है उसे। एक दिन के लिए ऋषिकेश आया था लेकिन उसे यहाँ एक हफ्ता हो गया है लेकिन अभी भी लौट जाने का कोई इरादा नहीं बना है। ये उसकी पहली सोलो ट्रिप नहीं थी। इससे पहले वो कई बार अकेले घूमने जा चुका है और मुझे यकीन है कि अभी जब मैं अपना एक्सपीरियंस लिख रही हूँ वो किसी दूसरी जगह घूमने के लिए निकल भी चुका होगा।
पीयूष काठमांडू से है, जैसे ही मुझे ये बात पता चली उससे बात करने की मेरी दिलचस्पी और बढ़ गई। कारण ये था कि नेपाल से मधेपुरा (जहाँ मेरा घर है) तक का रास्ता मात्र 3-4 घंटे का है। लेकिन मैं कभी काठमांडू नहीं जा सकी। ऐसे में कोई आपको अपने शहर के नजदीक रहने वाला मिल जाए तो एक कनेक्शन खुद ब खुद बन जाता है।
खैर मैं बता रही थी नीर वॉटरफॉल के बारे में जहाँ जाने के लिए मैं बहुत एक्साइटेड थी और मोबाइल पर रूट मैप देख ही रही थी कि मेरा फोन बजा।
फोन की दूसरी तरफ से आवाज आई – “अरे प्रगति आज केजीएफ रिलीज हुई है। ड्राफ्ट में फिल्म का रिव्यू है उसमें पब्लिश करना है”
“अभी?”
“नहीं नहीं, अभी तो show शुरु हुआ है, दस बजे तक draft में poora review होगा, बस ज़्यादा कुछ नहीं करना है, उसमें pictures लगानी हैं, tags लगाने हैं, feature image already बनी हुई है, बस उसे proof read करना है, और क्या, हाँ, साथ में थोड़ा स promotion भी करना है, बस! फिर आराम से घूमो”
‘ओह नो’- मैं कहना चाहती थी कि मैं नीर waterfall जा रही हूँ। मैं कहना चाहती थी कि मैं घर से सोचकर निकली हूँ कि मुझे नीर waterfall जाना ही जाना है, मैं ये भी कहना चाहती थी कि वहाँ internet नहीं आता और मैं वहाँ जाना miss नहीं कर सकती और मैं यहाँ SOLO trip पर आई हूँ, लेकिन, लेकिन मैंने बस ये कहा
“yes boss, जबतक आप ड्राफ्ट करते हो, मैं images निकाल लेती हूँ।” अरे! यार मेरे और वाटरफॉल के बीच ये रॉकी कहां से आ गया।
यही वो कमबख़्त रिव्यू है जिसके वजह से मैं वाटरफॉल नहीं जा सकी। – KGF chapter 2 review: आग लगा देगी बॉक्स ऑफिस पर el-dorado की ये कहानी
ऋषिकेश में नेटवर्क की बड़ी समस्या थी। बहुत मुश्किल से वेबसाइट खुल रही थी। इस वजह से मुझे एक कंटेंट पब्लिश करने में काफी वक्त लग गया। मेरे दिमाग में –
‘जिंदगी इम्तिहान लेती है’ बज रहा था (हाहाहा)। मैं एक चाय के बाद दूसरी चाय मगंवा रही थी और लैपटॉप को घूर रही थी। तभी मुझसे पीयूष की देवता स्वरूप आवाज़ मेरे कानों में पड़ी
सुनों प्रगति, पहले रिवर राफ्टिंग कर लो फिर नीर वॉटरफॉल चली जाना। ऐसा करना ज्यादा आसान होगा”
राफ्टिंग सुनकर मैं खुश हो गई। प्लान में चेंज हुआ लेकिन कोई बात नहीं नीर वाटरफॉल तो मैं तब भी जाउंगी। जब प्लान में चेंज हुआ तो मेरे पास कुछ वक्त और था। काम करने के बाद मैं वहीं बैठकर पीयूष से उसके ट्रेवल एक्सपीरियंस जानने लगी।
वहाँ कुछ लोग और आ गए जो आज सुबह ही आए थे और उन्हें रूम नहीं मिला था। उनमें से दो – Har-shit और साहिल – दोनों ही बैंकर थे (मतलब हैं) और वो भी सोलो ट्रिप पर ही आए थे। Har-shit से तो बात की शुरुआत ही मजाक से हुई।
ट्रोल करने की गंदी आदत से मजबूर मैंने उसे छेड़ दिया “तुम्हारे नाम में ही shit है।”
Harshit ने इस बात को पॉजिटिवली लिया और कहा कि मैं ये कई बार सुन चुका हूँ। बात को संभालने के लिए मैंने कहा कि “वैसे सभी मुझे प्रगति मैदान कहकर बुलाते हैं।” इसपर पीयूष ने मेरा मजाक बना दिया।
वहीं साहिल की बात-चीत में एक वर्ड कॉमन था – उनकी एक्स गर्लफ्रेंड। बात चाहे जो भी हो उनकी एक्स गर्लफ्रेंड के जिक्र के बिना अधूरी होती थी। फिर एक्स गर्लफ्रेंड के एक्स-बॉयफ्रेंड साहिल के बारे में पता चला कि वो एक बेहतरीन सिंगर हैं। जब उसने गाना शुरु किया तो समा बांध दिया। उनकी खूबसूरत आवाज ने हमारी शाम बना दी।
Sahil
(ऋषिकेश की वो शाम भी बहुत यादगार है। और इस किस्से के बीच में एक और एक अनोखा किस्सा भी है जिसके बारे में मैं अलग से लिखूंगी)
इन सभी से बात करते वक्त मैं बार-बार मोबाइल पर टाइम भी चेक कर रही थी। मुझे घूमना बहुत पसंद है लेकिन इस दौरान जल्दबाजी करना और बार-बार टाइम देखना बिल्कुल पसंद नहीं। लेकिन वक्त की डिमांड कुछ और ही थी। मैं फोन इसलिए चेक कर रही थी कि मुझे रिवर राफ्टिंग के लिए जाना था।
हॉस्टल से तीन लड़कियों का एक ग्रुप था जो रिवर राफ्टिंग के लिए जा रहा था। मैंने वो ग्रुप ज्वाइन कर लिया। हम सभी एक शॉप पर पहुँचे जहाँ ऑलरेडी राफ्टिंग के लिए बात हो चुकी थी। मेरे अलावा राफ्टिंग के लिए आठ लोग और थे।
Rishikesh Rafting
हमने 16 किलोमीटर वाली राफ्टिंग के पैकेज को चुना जिसमें हमें शिवपुरी से लेकर NIM beach तक का डिस्टेंस cover करना था। हमने जहाँ से बुकिंग की थी वो हमें शिवपुरी लेकर गए। इस दौरान मेरी कुछ नए लोगों से मुलाकात हुई। सभी लोग अलग-अलग प्रोफेशन से थे। कोई डेंटिस्ट था तो कोई CA., सभी ने अपना पिछला एडवेंचर एक्सपीरियंस शेयर किया और मैं SOLO travellers की निब्बा बनी सबको ध्यान से सुनने लगी। जिन लोगों ने पहले राफ्टिंग की हुई थी वो तो शांति से बैठे हुए थे लेकिन मेरे साथ-साथ बाकी first इक्स्पीरीअन्स वालों के पेट में गुड़गुड़ हो रही थी। मुझे एडवेंचर गेम्स बहुत एक्साइटिंग लगते हैं। मैं सारी चीजें एक बार ट्राई जरूर करना चाहती हूँ लेकिन मुझे डर भी उतना ही लगता है जितनी मैं एक्साइटेड होती हूँ।
खैर जिन्हें नहीं पता है उन्हें बता दूँ कि राफ्टिंग और व्हाइट वाटर राफ्टिंग एक इंट्रेस्टिंग स्पोट है जिसमें आप छह या आठ लोगों के ग्रुप के साथ बोट पर सवार होते हैं। और सामने से आने वाले wave का सामना करते हुए अपनी बोट को पार लगाते हैं। ये टीम वर्क के बिना पॉसिबल नहीं है इसलिए इसमें हर व्यक्ति equally part लेता है। मैंने इस 16 किलोमीटर की journey के 500/- रुपए pay किए थे।
राफ्टिंग के पहले हमें छोटी सी ट्रेनिंग दी गई थी जिसमें से मुझे केवल एक ही बात याद थी- पैरों के फंसा कर रखना है ताकि बोट से गिरे न।
अब जब बोट में बैठने की बारी आई तो फिर साँस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे हो गई। हमें लाइफ सैविंग जैकिट, हेलमेट और एक चप्पू दे दिया गया। बोट में बैठते ही मैंने पैरों को फँसाकर रख लिया। पहली दो waves ने मुझे बहुत डर लगा लेकिन फिर डर की जगह एक्साइंटमेंट ने ले ही और हर wave को पार करना interesting लगने लगा।
हमें जिन गाइड के साथ राफ्टिंग की थी वो थे – सन्नी भाई और गौरव राणा। दोनों ही एडवेंचर लवर। उनको देखकर मुझे इरफान की करीब करीब सिंगल के राधा के पति याद आ गए।
Rishikesh: Sunny Bhai and Gaurav Rana
राफ्टिंग के दौरान सन्नी भाई ने बताया कि वो लोग दिन में 4 बार राफ्टिंग करते हैं। हाथों और पैरे में इतना दर्द होता है कि बता नहीं सकते। रात होते-होते ऐसी हालत हो जाती कि बस बेड पर जाते ही नींद आ जाती है। लेकिन राफ्टिंग इसलिए करते हैं क्योंकि मजा आता है। रोज एडवेंचर होता है और नए लोगों से मुलाकात भी होती है।
हालांकि अब सन्नी भाई के लिए राफ्टिंग वैसे हो गई है जैसे हमारे लिए सुबह की मेट्रो पकड़ना। अब वो अपने एडवेंचर का लेवल बढ़ाना चाहते हैं। 16 किलोमीटर छोड़ 1600 किलोमीटर राफ्टिंग करना चाहते हैं।
ऐसे ही बात-चीत के दौरान जब सन्नी और गौरव ने हमें पानी में उतरने को कहा तो हम डर गए। क्या? ये कैसे पॉसिबल है और हमें तो इस बारे में पहले बताया ही नहीं गया था। पहले हमें लगा कि ये लोग मजाक कर रहे हैं लेकिन जब गौरव ने दो तीन बार कहा तो हम सभी बारी बारी से पानी में जंप कर गए।
पानी बहुत ठंडा था। हम सभी को सन्नी ने एक रस्सी पकड़ा दी और बोट से दूर जाने को कहा। हम सभी पहले कुछ देर पेनिक मोड में थे। लेकिन धीरे धीरे पानी और हम दोनों ही नॉर्मल होते चले गए। कुछ समय बाद जब हम नोर्मल हुए तो गौरव ने कहा कि कोई एक रस्सी पकड़े रहो और बाकि सब एक दूसरे का हाथ पकड़कर चेन बना लो। मैं सबसे आगे थी इसलिए सन्नी ने मुझे रस्सी पकड़ा दी। और एक दूसरे का हाथ पकड़कर सभी दूर होते चले गए।
जब मैंने अपनी बॉडी फ्री छोड़ी तो body भी wave के साथ लहराने लगी।
सब पानी में मजे से float कर रहे थे। तभी अचानक मेरे हाथ से रस्सी छूट गई। रस्सी छूटते ही मुझे डर से ज्यादा हंसी आई और मैंने हंसते हुए कहा कि रस्सी छूट गई है। सब पेनिक करने लगे। पर मैं panic नहीं हुई सोचिए क्यों?
क्योंकि मैं 1 साल स्विमिंग training ले चुकी हूँ इसलिए मैंने सुझाव दिया कि पेनिक मत करो वर्ना सभी डूबने लगोगे। हालांकि किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। सब मुझे कोसने लगे कि मैंने रस्सी क्यों छोड़ी। किसी को हार्ट अटैक आता उससे पहले ही सन्नी और गौरव ने हमें सेफ्ली बोट में लिया और हम आगे बढ़ गए। इतने देर पानी में रहने के बाद भी मेरा मन नहीं भरा था। मेरा मन फिर से गंगा मईया में डुबकी मारने का कर रहा था।
3.30 घंटे की राफ्टिंग के बाद हम अपने डेस्टिनेशन पर पहुँचे और वहां से अब मेरा प्लान था नीर वाटरफॉल जाने का जहाँ जाने के लिए मैं सबसे ज्यादा एक्साइटेड थी। मेरे साथ कुछ लोग और थे जो नीर वॉटरफॉल जाना चाहते थे। 3 ऑलरेडी बज चुका था और 6 बजे वाटरफॉल बंद हो जाता है। तो ट्रेकिंग के बजाए हमने ये डिसाइड किया कि हम scooty से जाएंगे लेकिन अब एक और मुसीबत, मेरे पास लाइसेंस नहीं था। और जिनके पास था उनकी दो लोगों की टीम पहले से बन चुकी थी। फिर डिसाइड हुआ कि जो भी इन दो टीम में से पहले वाटरफॉल पहुंचेगा वो मुझे लेने वापस आएगा। बाकी सब वाटरफॉल के लिए निकल गए और मैं इंतजार करने लगी।
मुझे पूरी उम्मीद थी कि अभी कोई आयेगा और मुझे स्कूटी पर बिठाकर मेरे नीर तक मुझे ले जायेगा लेकिन 4 बजे उनमें से एक का message आया – “प्रगति, हम अभी पहुँचे हैं। वाटरफॉल दूर है, वापस आते हुए देर हो जाएगी”
One Minute Silence…ये क्या हुआ… ये तो नहीं होना चाहिए था!
क्रमशः
अगर आपको मेरे साथ यहाँ तक का सफर पसंद आया है तो आपको आगे, यानी आखिरी दिन के किस्सों में भी बहुत मज़ा आयेगा इसलिए अपने दोस्तों के साथ, खासकर female friends के साथ मेरे experience को ज़रूर share कीजिए ताकि उन्हें भी अकेले घूमने जाने की हिम्मत मिले!
Next and final episode बहुत जल्द आपके सामने होगा! बस थोड़ा सा सब्र कीजिए
Solo trip 2 Rishikesh Part 1 पढ़ने के लिए यहाँ click कीजिए – Solo Trip To Rishikesh – उम्मीदों से परे हुआ एक अनोखा अनुभव
May 15, 2022 @ 10:26 PM
Wow! Taperecorder👌
Waiting for next now😍
May 16, 2022 @ 12:18 AM
Are awesome yar 😎🤟