Avatar की दूसरी किश्त ‘way of water’ करीब 13 साल बाद सिनेमा हॉल में आने वाली है। हर चीज़ को लार्ज स्केल पर दिखाने वाले चाचा जेम्स कैमरून इस फिल्म को भी करीब 12000 से अधिक स्क्रीन पर वर्ल्ड वाइड रिलीज़ करने वाले हैं।
(बाहुबली-2 9500 स्क्रीन्स पर रिलीज़ हुई थी) ट्रेड सेठ बता रहे हैं कि इस फिल्म का अनुमानित बिजनेस पहले ही दिन में 500 मिलियन डॉलर्स यानी करीब 4000 करोड़ का बिजनेस कर जायेगी। (इतने में तो भारत 10 बार अपना यान मंगल पर भेज सकता है)
उधर हर चीज़ को बड़ा-बड़ा दिखाने वाले कैमरून चाचा कहते हैं कि 2 बिलियन डॉलर्स से नीचे फिल्म रही तो अगली कड़ी बनाने में मज़ा ही नहीं आयेगा,क्योंकि पिछली Avatar की बात करें तो उसका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ऑल्मोस्ट 3 बिलियन यानी 300 करोड़ डॉलर (भारतीय मुद्रा में 24000 करोड़) के आसपास था।
लेकिन किन्तु परंतु बट व्हाई का सवाल है कि इन नील-मानवों की फिल्म में आखिर ऐसा था क्या कि ये दुनिया भर में तहलका मचा गई और अभी फिर तगड़ा बज़ बनाए हुए है?
इस गुत्थी को सुलझाने के लिए मैंने फिर से Avatar देखी। इस बार ध्यान से देखी तो ये समझ आया कि 2009 तक मार्वल फिल्म्स अपने जलाल पर नहीं आई थीं। हाँ, लॉर्ड ऑफ द रिंग्स, पाइरेट्स ऑफ दी करेबियन, हैरी पॉटर आदि ज़रूर अपने VFX और CGI का जलवा दिखा चुकी थीं जिसे दर्शकों ने सिर-आँखों पर बिठाया भी था।
पर Avatar में पंडोरा ग्रह के अकेले रात के दृश्य, किसी भी सिनेमा लवर को पागल कर देने के लिए काफी थे। प्लस, जब 2009 में Avatar आई थी, तब आस-पास ही Imax सिने experience भी डिवेलप हुआ था और आई मैक्स में फिल्म देखने वालों के मुँह से एक ही बात निकली थी, अद्भुत!
हालाँकि आदमी से अवतार में कॉनशीयसनेस ट्रैन्स्फर वाला सीन कोई नया नहीं था, हम इससे मिलता-जुलता कान्सेप्ट matrix series में देख चुके थे।
लेकिन कहानी की बात करें, तो जेक सली और नायित्री की प्रेम कहानी में ऐसा यूनिक कुछ भी नहीं था। पंडोरा को अगर आप नॉर्थ अमेरिका समझ लें और नील-मानवों को नेटिव अमेरिकन/रेड इंडियन मान लें तो कहानी बस इतिहास को दोहराती नज़र आ रही थी।
लेकिन, फिल्म को दर्शाने का तरीका, कैमरून का फ्लॉलेस डिरेक्शिन, अद्भुत से ऊपर के दृश्य और स्क्रीनप्ले में बारीकियों का ध्यान फिल्म को वर्ल्डवाइड ब्लॉकबस्टर करवाने में कामयाब रहा था।
अगर स्क्रीनप्ले की detailing पर बात करूँ तो अपनी चोटी से पेड़, पंछियों, घोड़ों को जोड़ना, उन्हें महसूस करना, उन्हें अपने हिसाब से चलाना, एक जंगली कुत्ते की मौत पर भी संवेदना ज़ाहिर करना, पेड़ों का अपना नेटवर्क होना, जंगल और ना’वी (नील मानवों) का अलग-अलग न होकर एक ही होना फिल्म की आत्मा को बहुत खूबसूरत बना गया था।
यही वो सबसे बड़ी वजह है, मेरी नज़र में; जो इस फिल्म को दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म बनाने में सहायक रही कि हम सब जानते हैं कि अमेरिका कैसे लाशों के ढेर पर बसा है, अफ्रीका में ऐसे यूरोपियन्स ने घुसपैठ की है और उन्हें अपने ही घर से बेघर किया है; कैसे नेचर और हम अलग-अलग नहीं बल्कि एक ही हैं। हम ही नेचर हैं; कि प्रकृति के अलावा कोई दूसरा देवी देवता नहीं है।
लाइफ इट्सेल्फ अ deity.. और ये भी कि हम ही अपने ग्रह, पृथ्वी का सत्यानाश कर रहे हैं तो हम जिस दूसरे ग्रह पर जायेंगे, उसका भी यही हाल करेंगे!
ये सब वो बातें जो हम जानते हैं लेकिन या तो मानते नहीं हैं, या ठीक से imagine नहीं कर पाते, उन्हें बड़े वाले चाचा कैमरून ने इतने लार्ज स्केल पर दिखाया है कि मुँह खुला का खुला रह जाता है।
फिल्म के graphics की बात करूँ तो पेड़ पर रात बिताने वाला सीन हो या वो विशालकाय पेड़ गिराने वाला सीन, दोनों इतने अद्भुत हैं कि 2009 तो छोड़िए, 2022 में ध्यान से देखें तो मुँह खुला रह जाता है।
पर अंत, मेरी नज़र में इससे बेहतर अंत हो सकता था। बुराई पर अच्छाई की जीत और अच्छाई का बुरा बर्ताव मुझे थोड़ा अखरता है। अंत में सबको वापस भेजने की बजाए अगर ये ऑप्शनल होता कि जो यहाँ रहना चाहता है वो रह सकता है पर वो कोई टेक्नॉलजी यूज़ नहीं करेगा; वो अमेरिकन्स की भाषा में, savage बनकर रहना स्वीकार करे, तो उसका स्वागत है तो यह ज़्यादा तार्किक और मार्मिक अंत होता।
लेकिन Avatar the way of water का ट्रैलर देखकर फिर उसी कहानी की बू आ रही है। ऐसा लग रहा है जैसे अर्थ वासी फिर ना’वी के घर पर हमला करेंगे, इस बार ये पानी के अंदर रहने वाले, एक्वा कलर के लोगों से मदद मांगेगा और फिर दोनों मिलकर बुराई पर अच्छाई की जीत घुमा के मार देंगे। boring….
हालाँकि काले तेंदुए की wakanda Forever में अपन सेम चीज़ देख चुके हैं। प्लस उस फिल्म ने जानदार शानदार vfx के साथ-साथ मज़ेदार कहानी भी परोसी है। प्लस, vfx में मामले में मार्वल सिनमैटिक यूनवर्स ने इतना कुछ दिखा दिया है कि कम से कम बड़े वाले कमरून चाचा ग्राफिक्स दिखाकर तो इम्प्रेस नहीं कर पायेंगे।
avatar के सीक्वल का सिलसिला कहाँ जाकर रुकेगा?
फिर ये कि चाचा Avatar के 3 और पार्ट लिखे बैठे हैं। Avatar 3 और Avatar 4 पर तो काम भी चालू है। 5वां फाइनल होगा। अब इतनी बड़ी कहानी सिर्फ बुराई पर अच्छाई की जीत तक सीमित रहे, ऐसा मुमकिन तो नहीं लगता है। तिसपर चाचा कैमरून एलीएन, टर्मनैटर, टाइटैनिक इत्यादि में भले ही नई कहानी न ला सके हों (एलीएन कॉमिक से थी और टर्मनैटर बुक से, टाइटेनिक वाला लौंडा तो सच्ची में डूबकर मरा था) पर मजबूत स्क्रीनप्ले लिखने में इनका कोई सानी नहीं है।
कैमरून की हर फिल्म 3 घंटे के आसपास होती है, way of water तो 3 घंटे 10 मिनट की है; पर अबतक चचा की कोई भी फिल्म कम से कम अझेल तो नहीं लगी है।
बादबाकी रजनीकान्त ठलाईवा के बाद मैंने अब Avatar 2 देखी जिसका पहला शो दिल्ली में 6 बजकर 5 मिनट से शुरु हो रहा है। मेरी कोशिश है कि मैं सुबह 7 बजे वाला शो देखूँ और 12 बजे तक रिव्यू आप सबके सामने पेश कर दूँ!
बाकी नीले मानवों की हरि इच्छा
मेरे हिसाब से Avatar 2 पहले ही weekend में 100 करोड़ us dollar collect करने वाली पहली फिल्म बन जायेगी। आपको क्या लगता है? 12 हज़ार स्क्रीन काउन्ट अपना कमाल दिखा सकेगा