Uljhan Buljhan Pyaar Book Review: राजू से दूर होने और अपने परिवार के व्यवहार की वजह से जया के अंदर रिश्तों को लेकर नफरत पैदा होने लगती है। वो किसी भी तरह के रिश्ते में बंधने से इंकार करती है। उसके लिए रिश्तों का मतलब केवल पिंजरा होता है।
जब मैंने किताब को पढ़ने से पहले इसका टाइटल पढ़ा तो मेरी हँसी छूट गई। कारण था इसका अजीबो-गरीब नाम। Uljhan Buljhan Pyaar, “ये कैसा नाम होता है”- मैंने किताब के नाम को देखते हुए कहा और फिर इसे साइड में रख देना बेहतर समझा। अचानक अगले दिन किताब पर नज़र पड़ी तो दिमाग ने कहा कि टाइटल पर ध्यान न देकर किताब पढ़कर देखो। वैसे भी बड़ा ही फेमस डायलॉग है- डोट जज द बुक बाय इट्स कवर।
कहानी- मैंने किताब का पन्ना पलटना शुरू किया। कहानी है जया, राजू और पिंकी की। राजू और पिंकी सगे भाई-बहन होते हैं जो अपनी माँ के साथ ग्वालियर पढ़ाई करने आते हैं। यहीं 15-16 की उम्र है उनकी। इसके बाद एंट्री होती है जया की। जया, राजू और पिंकी की मौसेरी बहन होती है लेकिन इससे पहले वो अपने मौसेरे भाई बहन से पहली बार मिलती है।
शायद इसी वजह से राजू और जया ज्यादा बात नहीं करते हैं। लेकिन धीरे-धीरे जया और राजू को एक दूसरे का साथ भाने लगा है। सामाजिक और परिवारिक तौर पर देखें तो ये रिश्ता गलत है लेकिन जया और राजू की उम्र इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रही है।
और जया मानसिक रूप से दृढ़ संकल्प और मजबूत है। इसलिए वो इन रिश्तों के कारण खुलकर प्यार न कर पाने की वजह से घुट रही है और इनसब का जिम्मेदार इन रिश्ते बनाने वालों को दे रही है। वहीं राजू और जया के इस प्यार का साक्षी उसका परोसी भावेश जो कि एक लेखक है, हमें ये पूरी कहानी सुनाता है। जया की भावेश से बहुत बनती है। वह जया को बिना जज किए उसकी मनोदशा को समझता है और उसे सही सलाह भी देता है।
जया और राजू का एक दूसरे से मिलना और उनका प्यार ज्यादा दिन तक उनकी माँ से छुप नहीं पाता है। और वो जया और राजू को एक दूसरे से दूर रखने का फैसला करती है। राजू से दूर होने और अपने परिवार के व्यवहार की वजह से जया के अंदर रिश्तों को लेकर नफरत पैदा होने लगती है। वो किसी भी तरह के रिश्ते में बंधने से इंकार करती है। उसके लिए रिश्तों का मतलब केवल पिंजरा होता है।
भाषाशैली और वर्तनी- लेखक ने किताब को बहुत ही आसान भाषा में लिखा है। कहीं भी लिंक टूटता सा नहीं लगा है। लेखक ने कहानी को शुरुआत से अंत तक बांधकर रखा है जिसे पढ़ते वक्त आप बोरियत महसूस नहीं करेंगे। किताब में वर्तनी की गलती की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी गई है। अगर हुई भी तो वो नजरअंदाज करने जैसी है।
क्लाइमैक्श- क्लाइमैक्श से पहले मुझे लग रहा था कि जया जो कर रही है वो सही है। लेकिन लेखक के नेरेशन ने मेरा नजरिया बदल दिया। जिस तरह से भावेश ने जया को रिश्तों के मायने, प्यार, हर पहलू पर बिना विचार के राय बना लेने से लेकर जिंदगी की बड़ी सीख दी वो मुझे भी समझ आ गई।
लेखक ने इस किताब(Uljhan Buljhan Pyaar) के माध्यम से हमारे सामने एक ऐसी कहानी रखी है जो अधिकतर यूथ की कहानी है। ऐसी कहानी जिसे परिवार में पता चलते ही दबा दी जाती है। और ऐसे में उन बच्चों के मन में विद्रोह की भावना पनपने लगती है। किताब का टाइटल जितना ही बचकाना है। उससे ठीक उलट किताब की कहानी है।
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