Tina की पहली शादी प्रेम विवाह थी जो कि असफल रही। टीना अपनी जिन्दगी में आगे बढ़ चुकी हैं और यह बहुत सकरात्मक खबर है।
यूपीएससी बैच 2015 की टॉपर रहीं आईएएस Tina डाबी अपनी दूसरी शादी करने जा रहीं हैं। पहले पति अतहर खान से तलाक के सात महीने बाद Tina अब आईएएस प्रदीप गवांडे के साथ विवाह कर रही है।जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो एक नयी बहस भी शुरू हो गई। टीना डाबी और प्रदीप गवांडे की उम्र में तेरह साल का अंतर लोगों के लिए एक मसालेदार गॉसिप बन गया।
Tina की पहली शादी प्रेम विवाह थी जो कि असफल रही। टीना अपनी जिन्दगी में आगे बढ़ चुकी हैं और यह बहुत सकरात्मक खबर है।
हमारे समाज में वर की आयु वधू की आयु से ज्यादा ही होती है और यह विवाद का विषय नहीं होता लेकिन टीना के पिछले विवाह की असफलता को लोगों ने टीना की मजबूरी का नाम दिया।
जब प्रियंका चोपड़ा ने निक जोनस से शादी की तब भी सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा लिखा गया। दूसरे का निजी जीवन लोगों के लिए मनोरंजन का विषय कैसे बन जाता है यह समझ नहीं आता। व्यक्तिगत तौर मैं मानती हूँ कि अपने जीवन को सामाजिक रूप से जीने का अधिकार सिर्फ व्यस्क व्यक्ति को है दूसरों के जीवन में दखलअंदाजी नैतिकता के तौर पर देखा जाए तो अपराध है।
वैसे देखा जाए तो आज का बीस से तीस साल के उम्र के युवक परिपक्व महिलाओं की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह आकर्षण दैहिक आवश्कताओं के लिए तो नहीं समझा जा सकता क्योंकि यह आवश्यकता कम उम्र की महिलाओं से भी पूरी हो सकती है। पैंतीस चालीस या उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को इसमें रूचि हो यह बात हजम नहीं होती।
इस आकर्षण के पीछे बहुत से मनोवैज्ञानिक कारण मुझे समझ आते हैं। इन कारणों का विश्लेषण करने की आवश्यकता भी है।
चलिए प्रयास करते हैं कि हम किसी नतीजे पर पहुंच पाएं।
1- बीस से तीस साल के युवक अपने करियर की संभावनाओं को तलाशते मानसिक दबाव की उस स्थिति में पहुंच जाते हैं जहाँ उन्हें एक ऐसे परिपक्व सहारे की आवश्यकता होती है जो उन्हें समझ सके। उनकी हर बात को सुनकर सही सलाह दे सके और डिप्रेशन को कम करने में मदद कर सके।
ऐसा देखा गया है कि इस उम्र के युवक अपने मन की बातें परिवार के साथ इसलिए भी शेयर नहीं करना चाहते क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी परेशानी कोई नहीं समझेगा और न ही कोई सुनेगा।
2- पुरुष हमेशा स्त्री के सरंक्षण में खुद को सुरक्षित समझता है। उसे एक ऐसा कांधा चाहिए जिस पर वह बच्चे की तरह सिर टिका कर मन को खोल दे। दुखी होने पर पुरुष एक शिशु के समान हो जाता है जो माँ की गोद में आने पर ही चुप होता है। कम उम्र की स्त्रियों में खुद ही बचपना होता है जिसके कारण वह मानसिक सबलता नहीं दे पाती। अपने करियर अपने भविष्य की चिंता में इस उम्र की युवतियां भी उतनी ही टेंशन का शिकार हैं जितने की युवक।
3- आर्थिक सुरक्षा की भावना भी इसका एक कारण हो सकता है। परिपक्व आयु की महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होती हैं। गिफ्ट जैसे चोंचले उन्हें पसंद नहीं होते।
वह खुद भी सामने वाले की मदद करने में सक्षम होती है और बहुत हद तक अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को बाखूबी समझती हैं।
4- परिवार में मिलने वाली उपेक्षा और अपमान को यह युवक अपने जीवन को परिवार में बोझ समझने लगते हैं। सफलता की कामना करते यह युवक परिवार की इच्छाओं के आगे खुद को घुटता हुआ महसूस करते हैं और इस घुटन से बचने के लिए यह तलाशते हैं अपनी बातें सुनाने के लिए एक ऐसा व्यक्ति जो उन्हें सुने और तसल्ली दे।
5- मानसिक सुरक्षा वह महत्त्वपूर्ण कारक है जो इस उम्र के युवाओं को अपने से बड़े उम्र की महिलाओं के प्रति आकर्षित करता है। जबकि युवतियों को आर्थिक सुरक्षा की चिन्ता परिपक्व पुरुष की ओर आकर्षित करती है।
इन कारणों के अलावा अन्य बहुत कारण भी हो सकते हैं जिन्हें समझने की भी आवश्यकता है।
विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण एक स्वाभाविक क्रिया है इसे अपराध की तरह जब हमारा समाज दिखाता है तो अपनी जिज्ञासा और कभी कभी कुंठाओं की गिरफ्त में आकर भी इस वर्ग के युवक अधिक उम्र की महिलाओं के साथ मित्रता के नाम पर अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने की चेष्टा करते रहते हैं।
मैंने बहुत सी महिलाओं से बात की है और जाना कि इस उम्र के युवक(सभी की बात नहीं कर रहे) अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए या फिर स्त्री देह को जानने की इच्छा लिए अक्सर सोशल मीडिया पर अधिक उम्र की महिलाओं से मित्रता को आतुर रहते हैं। इनके इस प्रकार की क्रियाकलाप महिलाओं के लिए असहजता की स्थिति उत्पन्न कर देते हैं।
इन सब बातें में एक बात सबसे ज्यादा गौर करने लायक है और वह है प्रेम। यदि किसी व्यक्ति के प्रति प्रेम का भाव उत्पन्न हो जाता है तो उम्र हमेशा नीचले पायदान पर चली जाती है।
वैसे भी व्यवहारिक रूप से देखे तो परिपक्वता की एक उम्र सबको समान अवस्था में ले आती है इसके बाद भी आकर्षण का गणित थोड़ा उलझा हुआ है जिससे सुलझाना मुश्किल तो है।
नैतिकता, सामाजिकता व्यक्ति के प्राकृतिक गुणों को बंधक नहीं बना सकती लेकिन हाँ उसे आचरण के नियमों में चलने के लिए सहमत जरूर कर सकती है और यह सहमति स्वस्थ समाज के लिए जरुरी भी है।
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