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लगता है तेलुगु लेखक-निर्देशक कोटला सिवा मेगास्टार चिरंजीवी के स्टारडम की चकाचौंध में भूल बैठे, उन्हें अपने Acharya को कहानी भी देनी है।

दरअसल, गत वीकेंड तेलुगु इंडस्ट्री से चिरंजीवी और राम चरण तेजा की Acharya दर्शकों के बीच नज़दीकी सिनेमाघरों में पहुँची थी। इस कंटेंट को अच्छा हाई-अप व बज मिला, दर्शक इसकी रिलीज की डिमांड करने लगे। क्योंकि महामारी काल के बाद से फ़िल्मों के रिलीज स्लॉट बदलते आ रहे थे। कई फिल्में तो तीन-चार बार रिलीज डेट लेकर भी रिलीज न हो सकी।

लंबे इंतजार के बाद 29 अप्रैल के दिन Acharya रिलीज हुई। चिरंजीवी और राम चरण के डाई हार्ड फैंस ने अच्छा ओपन करवाया। लेकिन उसके बाद Acharya का कंटेंट सर्वाइव न कर सका और लुढ़क गया। सबसे अव्वल इसे कहानी के नाम पर सिर्फ़ दो बड़े चेहरे मिले। अच्छे और बुरे के फेर में स्क्रीन प्ले लिखा गया, इसका ट्रीटमेंट भी नीरस रहा। ट्रेड और दर्शक उम्मीद में थे, राम चरण ने ट्रिपल आर में जो धमाल मचाया है। लेकिन यहाँ बाप बेटे की जोड़ी cash करने की एक नाकाम कोशिश की गई।

यक़ीनन! निर्देशक कोटला सिवा उसी मर्म को कायम रखेगें। अफसोस, कुछ एक्शन सीक्वेंस मजेदार है। दोनों मुख्य किरदारों की एंट्री भी धांसू है। वही, सोनू सूद खलनायक के साथ आए है, दाढ़ी व बालों की विग चिपकाकर अजीब लगे है और कतई कनेक्ट न कर पाए। उनका किरदार पूरे इवेंट से अलग ही खड़ा नजर आया, लगा ही नहीं ये इसी परिवेश में लिखा गया। VFX के जमाने में विग अच्छा ख्याल नहीं है। साफ़ बनावटी नजर आता है।

बाकी लेखक के तौर पर सिवा उस स्कीम को लागू कर बैठे, कि मेरी फिल्म में तो स्वयं चिरंजीवी अपने पुत्र राम चरण के साथ है। हमें स्क्रिप्ट व कहानी की क्या आवश्यकता है।

सिर्फ Acharya से ‘सिवा’ को जज करना ठीक नहीं

सिवा की इस सोच ने पहले दिन काम किया, क्योंकि दर्शक अनजान थे। चिरंजीवी व राम चरण के इर्दगिर्द कैसा एग्जीक्यूशन है, जब इससे पर्दा उठा तो फ़िल्म पूरी तरह बैठ गई। 100 करोड़ी बजट से निर्माता राम चरण तेजा को 80 करोड़ का नुकसान होना तय है। फ़िल्म ने टीजर व प्रमोशनल फुटेज से दर्शकों पर अच्छा ग्रिप बनाया था, बल्कि इसे पैन इंडिया रिलीज तक मांग उठ गई थी। निर्माता ने अच्छा निर्णय लिया और फ़िल्म को रीजनल दायरे में रखा, अगर पैन इंडिया आती तो नुकसान का आंकड़ा बढ़ जाता।

सिवा अच्छे लेखक-निर्देशक है। बड़े बड़े चेहरों के सामने नसमस्तक नहीं होना चाहिए, अब वे दौर खत्म हो चुके है। जब हीरो की एंट्री, गाने व डायलॉगबाजी पर फ़िल्में चल जाया करती थी। माना कि कहानियां साधारण है, कम से कम स्क्रीन प्ले का इम्प्लीमेंटेशन असाधारण होना चाहिए। दर्शकों को ढाई-तीन घण्टे पलक झपकाने का मौका न मिलना चाहिए, वरना नींद उठा ले जाती है। Presentation is the most important weapon of a film. क्या कैसा दिखाया जा रहा है, वो सबसे ज़्यादा important है। राजमौली इसके बेहतरीन उदाहरण हैं।

टैलेंटेड कलाकार ऐसी गलती करते हैं तो दुख होता है। उनकी गुडविल पर असर पड़ता है। इन लापरवाही भरी Acharya  से बचना चाहिए था।

ये वीकेंड औंधे मुँह गिरा है। पैन इंडिया बॉक्स ऑफिस पर नए कंटेंट धाक न जमा पाया है। सब एक-दूसरे को ताकते रहे और दर्शक भी चुप-चाप रहे। गुलाटी कुमार और विमल केसरी भी फुस निकले। Runaway 34 जहाँ 65 करोड़ के बजट में बनी सिर्फ 27 करोड़ ही बटोर सकी है 

Read Runway 34 Review –

वहीं 75 करोड़ में बनी heropanti 2 तो 20 करोड़ के आसपास भटक रही है। 

Heropanti 2 Review: पिछवाड़े में घुसी गोली निकलने के बाद जो मटक-मटक नाच ले, वो है असली टाइगर

गुलाटी कुमार और विमल केसरी भैया के बारे में पहले ही लिख चुका था, इनके कंटेंट का प्रमाणपत्र डिजास्टर रहेगा। नतीजन दोनों कंटेंट उसी रेस को जीतने के करीब है, Acharya भी इसमें शामिल होकर कंपनी देगी

 – ओम लवानिया

यह लेखक के निजी विचार हैं

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