सोनू ने शालीनता से यह कहते हुए Padma Shri लेने से मना कर दिया कि अब तो मेरी उम्र निकल गई। जब मुझे मिलना चाहिए था तब तो मिला नहीं।
Padma Shri: सोनू निगम भारतीय फिल्म इंडस्ट्री का लोकप्रिय चेहरा हैं। उनकी आवाज़ हर दिल अज़ीज़ है। नब्बे के दशक में फिल्मी सफर की शुरुआत करने के बाद सैकड़ो गीतों को स्वरबद्ध कर चुके सोनू हिंदी, ओड़िया, बंगाली, इंग्लिश, गुजराती, कन्नड़, मैथिली, भोजपुरी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, तमिल और तेलुगु शब्दों को अपने कंठ पर बैठा चुके है। सोनू की महफ़िल में ग़ज़ल भी छेड़ी गई है। इनकी आवाज़ कई फ़िल्मी अवार्ड और नेशनल अवार्ड प्राप्त कर चुकी है।
आज इन्हें भारत के प्रधानमंत्री व गृह मंत्री के समक्ष राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा भारत का सर्वोच्च चौथा पुरस्कार Padma Shri दिया गया है।
जब भारत सरकार की तरफ से सोनू को फ़ोन गया कि उन्हें पद्मश्री के लिए नॉमिनेट किया जा रहा है, क्या वह Padma Shri अवॉर्ड स्वीकार करते है?
तब सोनू ने शालीनता से यह कहते हुए Padma Shri लेने से मना कर दिया कि अब तो मेरी उम्र निकल गई। जब मुझे मिलना चाहिए था तब तो मिला नहीं। मेरे बाद जिन्होंने करियर शुरू किया उन्हें तो पाँच साल पहले दे चुके हैं आप।
गृह मंत्रालय के कर्मचारी ने डिटेल में एक्सप्लेन किया तो सोनू इनकार न कर सके। सच्चाई है कि इतने बड़े सम्मान को कोई ठुकराता नहीं है। दरअसल, मन में खीज दबी थी जो अब बाहर निकली। निकलना स्वाभाविक भी था। जूनियर को मिल गया और उन्हें न मिला।
वैसे इससे पहले भी कइयों ने सोनू से संपर्क किया था और पद्मश्री अवॉर्ड दिलवाने का वादा भी करके गए। क्योंकि उस वक्त तत्कालीन सरकार में उन लोगों की सांठगांठ थी। लेकिन मामला बैठा न। लॉबिंग काम न आई। कहते हैं हर चीज़ का वक्त तय होता है। समय से पहले कोई वस्तु प्राप्त नहीं होती है। सोनू के Padma Shri पर 2022 चस्पा था तो पहले कैसे मिल जाता। अभी जो सम्मान आ रहा है। उसमें कोई सिफारिश नहीं है। नेचुरल प्रक्रिया के तहत सोनू का चुनाव हुआ है। भले मिलने में देरी हुई परन्तु उचित वक्त पर मिल रहा है।
आर्ट फील्ड कमेटी के मेंबर ने सोनू का नाम भारत सरकार को सजेस्ट किया था। उनका स्पष्ट मत था कि सोनू इससे पहले डिज़र्व करते थे।
इन दिनों सोनू निगम की आवाज़ गीतों में कम सुर्खियों में ज्यादा सुनाई देती है। कभी 5 बजे डिस्टर्ब का मुद्दा हो तो कभी बी-टाउन की म्यूजिक कंपनियों व निर्माताओं से रॉयल्टी की बहस रही हो। अब सोनू का नाम फ़िल्मों के क्रेडिट सीन में दिखाई नहीं देता है। लेकिन मीडिया, सोशल मीडिया पर बेबाकी और मुखरता के साथ सोनू अक्सर नजर आते रहते हैं।
वाक़ई भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री बहुत तेजी से बदली है। पिछले डेढ़ दशक से पुराने गायकों को फ़िल्मों में मौके नहीं मिल रहे हैं। इस बाबत कई तर्क सामने आते है। बढ़ती फी और रॉयल्टी की डिमांड ने संगीतकारों के होश उड़ा रखे है। इसलिए संगीतकार नए-नवेले टेलेंट को चांस देते है। म्यूजिक इंडस्ट्री का पैटर्न भी बदला है। पहले फ़िल्में मल्टीस्टारर हुआ करती थी।
लेकिन अब संगीत एल्बम मल्टीस्टारर होती जा रही है। जो गायक गा रहे हैं वह संगीत भी तैयार कर रहे हैं। अधिकतर पुराने गीतों को री-क्रिएट किया जा रहा है। एक सिंगल गीत के कई वर्जन रिकॉर्ड कर लिए जाते है। बेचारे सिंगर्स असमंजस में रहते है कि उनका रिकॉर्ड किया गीत फ़िल्म रहेगा या नहीं। इसी डिप्रेशन और टॉर्चर की बातें सोनू उठाते आए है।
पर अफ़सोस कि सिवाए हाथ जोड़ के अवॉर्ड ग्रहण करने के, सोनू निगम कुछ खास करने की कोशिश भले ही कर लें, पर हासिल कुछ न कर सकेंगे। फिर भी, मुझे इतनी खुशी ज़रूर है कि एक बेहतरीन टैलेंट, एक नायाब सिन्गर, एक बेहतरीन anchor और खूबसूरत इंसान को पद्मश्री से नवाज़ा जा रहा है।
Padma Shri सोनू निगम को आपने न सुना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता, तो बताइए न अपना अपना कोई पसंदीदा गाना?
यह लेखक के निजी विचार हैं।