Pathaan Box Office Collection: बहुत समय बाद थिएटर्स में कोई ऐसी फिल्म रिलीज़ हुई है जिसने चौतरफा हंगामा मचा दिया है। बल्कि तरीके से सोचें तो पठान के आने के महीने भर पहले से ही इस फिल्म का बॉयकॉट प्रमोशन चल रहा है। जी हाँ, इसे promotion ही कह सकते हैं क्योंकि जबसे ‘बेशर्म रंग’ गाते हुए दीपिका ने संतरी बिकनी क्या पहनी, सारी की सारी फुटेज पठान को मिलने लगी।
अभी कंगना रनौत भी फिल्म की पहले तारीफ, तो फिर क्रिटिसाइज कर खुद भी सारी अंटेशन बटोर रही हैं और रिलीज़ के बाद भी फिल्म को प्रोमोट करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहीं। बहरहाल, हम यहाँ बात कर रहे थे कि पठान की जेन्युइन ‘रुपिया बटोरी’ कितनी हो गई है?
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Pathaan Box Office Collection: पठान के ताऊ क्या कहते हैं?
भई ट्रेड और ट्रेंड के ताऊ तरण आदर्श ने अपने आधिकारिक twitter handler से शेयर किया है कि पठान छप्पर फाड़ कमाई कर रही है। पहले दिन, यानी 25 जनवरी बुधवार को फिल्म ने 55 करोड़ के टिकेट्स बेच लिए। वहीं 26 को छुट्टी के दिन आंकड़ा 68 करोड़ पर पहुँच गया और कल, जुम्मे के दिन जबकि कामकाज़ी दिन था, फिर भी फिल्म 38 करोड़ रुपये छाप गई।
इसके अलावा तमिल तेलुगु से भी फिल्म ने 5 करोड़ बटोर लिए हैं। तो जी इस तरह मात्र 3 दिन में पठान 161 करोड़ की टिकटें बेच चुकी है। दादा रे दादा!

(Taran adarsh Twitter screen shot)
अब कुछ “हमें सब पता है, चल बाप को मत सिखा” वालों का कहना है कि ये आँकड़ें फेक हैं, असल में थिएटर खाली जा रहे हैं पर शाहरुख खान की साख बचाने के लिए फिल्म को जबरन हिट दिखाया जा रहा है। इसपर भी ढेरों मीम्स भी बन रहे हैं।

https://twitter.com/nitin34804/status/1619234129677266948?s=20&t=J3lg-2sQGCC3cSJGoC0Ezg
तो क्या वाकई फिल्म की कमाई बढ़ाने के लिए धांधली की जा सकती है? तो जवाब है हाँ, की तो जा सकती है। पर कैसे?
Pathaan Box Office Collection: अंधा बांटे रेवड़ी, खुद अपने को दे
इस धाँधली से सिकंदर बनने का सबसे आसान तरीका तो है कि अंधा रेवड़ी खुद को ही बांटे, मतलब खुद ही टिकेट्स खरीदो और अपने चेले चापड़ों को दे दो। इसका पूर्ण उदाहरण थी फिल्म – जट्टू इंजीनियर। इस फिल्म में पेलू बाबाजी हीरो बने थे, सिंगर बने थे, घंटा और घड़ियाल भी खुद बने थे और 9 करोड़ में बनी इस फिल्म ने करीब-करीब सवा 7 करोड़ रुपये वापस निकाल लिए थे। कैसे?
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ऐसे कि बाबाजी के भक्तों ने खुद ही टिकेट्स खरीदकर बाँटने शुरु कर दिए थे। इसी सीरीज़ की पहली फिल्म मैसेंजर ऑफ गॉड के बारे में तो यहाँ तक मशहूर है कि फिल्म ने 120 करोड़ की कलेक्शन कर डाली थी! हालाँकि मामला, डिस्प्यूटेड है, इसलिए अपन उसका उदाहरण नहीं देते।
इस टिकेट बाँटों कलेक्शन का दूसरा आंशिक उदारण द कश्मीर फाइल्स थी, जिसके टिकेट्स खुद विवेक अग्निहोत्री ने तो नहीं, पर कई हिन्दूवादी संगठनों ने ये रेवड़ियाँ बाँटी थीं और शुरुआती हाइप के बाद फिल्म 300 करोड़ से अधिक का कलेक्शन कर गई थी।
हालाँकि ये अँधा-रेवड़ी गेम पठान के साथ नहीं हुआ है क्योंकि थिएटर्स में रौनक तो वाकई लौट आई है। तो फिर दूसरा तरीका क्या है?
Pathaan Box Office Collection: दाम बढ़ा के नाम बड़ा करो
दूसरा तरीका सिम्पल है, टिकेट के प्राइज़ ही बढ़ा दो, मसलन जिस हॉल में टिकेट रेट 180 रुपये है, वहाँ 220 कर दो, अब ये 22% की बढ़ौतरी सेम भीड़ में कलेक्शन बड़ी कर जाएगी। ये फॉर्मूला पठान के लिए भी अपनाया गया है, हालाँकि अब हर पुराने और महँगे (बड़े नहीं) बैनर की फिल्म के रिलीज़ से पहले डिस्ट्रिब्यटर और मल्टीप्लेक्स यही नीचता करते हैं। एक समय अमिताबच्चन की फिल्म आने पर ये एक्स्ट्रा मार्जिन का पैसा ब्लैकियों की जेब में जाता था जो की इललीगल था!
Pathaan Box Office Collection: क्या मुमकिन है आंकड़ों में हेर-फेर?
भोली-भाली क्यूट सी ऑडियंस की अक्सर ये शिकायत होती है कि आँकड़ों में सीधे-सीधे हेर-फेर करके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ज़्यादा बताई जाती है। तो क्या पॉसिबल है?
बिल्कुल नहीं!
सोचिए, ज़रा 10 रुपये के दिमाग पर 200 ग्राम का बोझ दीजिए और सोचिए कि अगर एक सिनेमा हॉल ने किसी एक शो में कुल 4 टिकेट्स बेचे हैं जिनका कलेक्शन 800 रुपये हुआ है तो क्या वो सिनेमा हॉल वाला आगे अखबार में छापने के लिए कहेगा कि उसने 8000 की सेल की? ऐसा करके उसे क्या मिलेगा? उसे मिलेगा घाटा! भले ही प्रोड्यूसर की तरफ से उसे घूस दे दी जाए पर वो आँकड़ों में भारी हेर-फेर नहीं कर सकता क्योंकि उसे इन्हीं आँकड़ों के आधार पर टैक्स तो भरना ही है, साथ ही साथ आधा माल डिस्ट्रिब्यटर को भी देना है (सिनेमा हॉल कैसे कमाते हैं इसपर अलग से एक आर्टिकल है)
अब हमारे देश में व्यापारी सौ रुपये का सामान बेचने के बाद ये तो कह सकता है कि 80 का बिका, पर 100 का 150 कभी नहीं बता सकता।
यूँ समझिए कि हर एक सिनेमा हॉल के, हर एक शो की एक शीट बनाने के बाद उसका टोटल करके ही वो कलेक्शन का आँकड़ा आता है जिसे ताऊ तरण आदर्श या ननद कोमल नाहटा बताते हैं। इसमें 2-4 करोड़ की बात अलग पर बड़ा हेर-फेर पॉसिबल ही नहीं।
इसलिए मेरी दरख्वास्त मानिए, फिल्म को उसके कैलिबर के हिसाब से हिट होने दीजिए और उसकी बकवास के हिसाब से फ्लॉप, हर संतरी रंग भगवा नहीं होता भई! कोई भी फल, बिकनी या तोता संतरी रंग का हो सकता है, पर वो भगवा नहीं कहलाता। ऐसे तो finding nemo देखने के बाद हँगामा हो सकता था कि भगवा रंग की मच्छी को पानी में डुबा दिया? पर नहीं हुआ न!
बहरहाल, तरण ताऊजी के अनुसार पठान शनिवार 200 और और रविवार को 250 करोड़ क्रॉस कर जाएगी। सोमवार से पता चलेगा कि फिलिम में वाकई कितना दम है।
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