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आज से पहले मैने जासूसी नोवेल नहीं पढ़े थे लेकिन पढ़ने की प्रबल इच्छा थी और ये प्रबल इच्छा सुरेंद्र मोहन पाठक जी के बुक ‘Nymphomaniac’ से पूरी हुई। हालाकि की यह पुस्तक ‘Nymphomaniac’ पढ़ने से पहले मैने इसके नाम को गूगल किया आजके पहले मैने ये नाम कहीं नहीं सुना था और कहते हैं ना किसी नए चीज को जानने की इच्छा प्रबल हो तो उसे जान ही लेना चाहिए, ’Nymphomaniac’ इसका मतलब है ’ए वूमेन हैविंग एब्नॉर्मल एंड अनकंट्रोलेबल सेक्सुअल डिजायर’।

साधारण भाषा में समझे तो एक ऐसी औरत जिसके अंदर सेक्स की अनंत भूख हो जिसका इलाज सिर्फ और सिर्फ मर्द हो। इस किताब की कहानी यहीं से शुरू होती है।

Nymphomaniac की बात की जाए तो

यह कहानी एक प्राइवेट डिटेक्टिव सुधीर कोहली से शुरू होती है जो किसी केस के सिलसिले में मुंबई गया हुआ है वहां आधी रात को समुंद्र किनारे उसकी मुलाकात मंजुला से होती है जिससे बाद में उसकी शादी भी हो जाती है।
सबकुछ सही चल रहा होता है, लेकिन एकदीन जब वो एक टूर से लौट कर घर आता है तो कुछ ऐसा देखता है जो उसे उसकी बीवी पर शक करने के लिए उकसाता है, और इस तरह शुरू होता है अपनी ही बीवी की जासूसी और फिर वो अपनी ही बीवी को किसी गैर मर्द के बाहों में नंगी देखता है जिसे वो बेपनाह मोहब्बत करता है उसे किसी और की बाहों में नंगी देखकर वो टूट जाता है।
Nymphomaniac
वो किसी ऐसे औरत के साथ नहीं हर सकता था जो इस हद तक बेहया हो। और फिर दोनो के बीच तलाक हो जाता है। उसकी पत्नी Nymphomaniac होती है वो खुद को एक बीमारी से ग्रसित बताती है। लेकिन उससे फर्क नहीं पड़ता दोनो अलग हो जाते हैं। लेकिन यह कहानी किसी बीमारी के उपर आधारित नहीं है।
एक रात सुधीर के दरवाजे पर कोई दस्तक देता है सुधीर दरवाजा खोलता है तो अपनी भूतपूर्व पत्नी मंजुला को लहूलुहान खून से सना पाता है। उसकी भूतपूर्व पत्नी उसकी बाहों में दम तोड़ देती है। मंजुला मार चुकी होती हैं और पीछे छोड़ जाती है ढेरों सवाल आखिर क्या हुआ मंजुला के साथ? किसने मारा मंजुला को? क्या इसकी मौत के पीछे इसकी उस बीमारी का तो हाथ नहीं? इन सारे सवालों के जवाब इस किताब में आगे हैं आपको जवाब चाहिए तो किताब पढ़नी पड़ेगी।
सुरेंद्र मोहन पाठक की ये पहली किताब थी जो मैने पढ़ी, जासूसी और थ्रिल से भरी ये किताब मुझे दीवाना बना गई। पाठक जी का नाम बहुत सुना था लेकिन पहली बार पढ़के पता चला की क्यू लोग पाठक जी के दीवाने हैं। आज से मैं भी पाठक जी की दीवानी।
अगर आप किताब पढ़ने के आदि नहीं है फिर भी इस किताब को एक बार जरूर पढ़ेंगे इतनी आसन और रोचक भाषा शैली है इस किताब की। बीच–बीच में हल्के फुल्के चुटकुले और भारी भरकम संवाद आपको बांध के रखेंगे।
“शादी शुदा मर्दों की यह ट्रेजडी है वह घुटनों के बल झुक कर औरत का हाथ मांगता है सारी उम्र पैरों पर खड़े होने की कोशिश में गुजार देता है” ऐसे रोचक संवादों से ये किताब भरी पड़ी है। किताब 18+ है लेकिन इसके संवाद और लेखन शैली इसे इतना रोचक बनाते हैं की ये 18+ का टैग हट जाता है।
कुल मिलाकर ये किताब जरूर पढ़ने वाली लिस्ट में रखी जा सकती है।
मैं इस किताब को 8.5/10 रेटिंग दूंगी।
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1 Comment

  1. Rajan sharma
    October 27, 2022 @ 6:24 PM

    18 saal pehle pehli baar padhi thi,fir jub bhi moka mila padhne ka tabhi fir se padh li.my all time favorite book.ab fir jub reprint hue to naye rang roop me ek baar fir se padh ker aanand aagya, jinhone ab tak nahi padhi wo jarur padhe

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