Modern सोसाइटी की महिलाओं के पास अधिक परेशानियाँ और हाइपरटेंशन आम पाई जाती है। चाहे वो फिर घर की छोटी-बड़ी किच-किच से हो या फिर दफ्तर के अटरम-सटरम कामों से।
हमारे देश में शादी के बाद महिलाओं के सिंदूर लगाने, मंगलसूत्र पहनने और चूड़ी पहनने का रिवाज है। ज़्यादातर महिलायें इस रीति-रिवाज को फॉलो करती हैं पर वहीं आजकल की कुछ Modern महिलाएं सिंदूर लगाना कुछ खास पसंद नहीं, उनके लिए सिंदूर आदि आउट डेटेड आइटम हो चुका है। इसके फैशन से जुड़े भी बहुत से कारण हैं जैसे- ड्रेस के साथ सिंदूर का मैच न करना या सिंदूर को मार्किंग के तौर पर देखना आदि।
पर क्या आप जानते हैं कि इन सभी के पीछे का कारण केवल सदियों से चलते आ रहे रीति-रिवाज ही नहीं है, बल्कि सिंदूर लगाने, मंगलसूत्र पहनने के कई साइंटिफिक रीज़न भी हैं। तो चलिए जानते हैं उन कारणों के बारे में –
कोई भी हिंदू विवाह सिंदूर समारोह के बिना पूरा नहीं होता है। जहां दूल्हा, दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाता है। आपको बता दूं कि सिंदूर में पारा (Mercury) धातु का मिश्रण, हल्दी और अन्य हर्बल शंखनाद को मिलाकर तैयार किया जाता है।
महिलाओं की मांग के बीचों बीच जो हिस्सा होता है उसे ‘ब्रह्मरंध्र’ कहते हैं। साइंटिफिक्ली ये साबित हो चुका है कि महिलाओं के सर का ये हिस्सा बहुत नाजुक होता है इसलिए इस स्थान को सुरक्षित रखने की जरूरत है। शुद्ध सिंदूर को लगाने से मांग में ठंडक पहुँचती है।
हम सभी जानते हैं कि शादी के बाद औरतों के जीवन में बहुत से बदलाव आते हैं और इन बदलावों चलते मानसिक तनाव आम हो जाता है। ऐसे में सिंदूर लगाना फायदेमंद साबित होता है। शायद यही कारण है कि Modern सोसाइटी में महिलाओं के साथ हाइपर टेंशन, सिर दर्द, कमर दर्द, चिड़चिड़ापन और बात-बात पर झगड़ना आम हो चुका है, घर हो या दरफ्तर।
modern सोसाइटी में traditional सिंदूर के अन्य फायदे –
सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाए
अगर धार्मिक दृष्टि से देखा जाए तो सिंदूर लगाना सौभाग्य और सुखदायी जीवन देता है। कहते हैं कि इसे माथे पर लगाने से पापों से मुक्ति मिलती है। सिंदूर नज़र से बचाता है। पहले के समय में लोग इसे घर में लगाते थे और सिंदूर खुद तैयार करते थे। लेकिन अब यह बाजारों में आसानी से मिल जाता है। वो अलग बात है कि बाज़ार में इस वक़्त केमिकल युक्त ऐसा सिंदूर मिल रहा है जो दिमाग शांत करना तो दूर, बालों की जड़ें अलग से कमज़ोर कर सकता है।
वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों के अनुसार सिंदूर लगाने से सिर दर्द, चेहरे की झुर्रियों जैसी समस्याओं को दूर करने के साथ-साथ मेमोरी पावर भी बढ़ती है। मानसिक शांति प्राप्त होती है। साथ ही ब्लड प्रेशर और पिट्यूटरी ग्लैंड भी कंट्रोल में रहता है। अगर किसी का स्वभाव चिड़चिड़ा है तो यह दिमाग को शांत करने में भी मदद करता है।
एनर्जी का बढ़ना एंड कंट्रोल ब्लड प्रेशर
माथे के बीच से सिर तक जाने वाली शिरा(vein) में रक्त संचार(blood flow) बेहतर होता है। ऐसे में सही तरीके और मात्रा में खून से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही, औरतें पूरे दिन तरोताजा महसूस करती हैं। साथ ही सिंदूर लगाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।
इतने सारे फैक्ट्स के बावजूद दुनिया की एक बड़ी modern आबादी सिंदूर नहीं लगाती है! तो क्या इन सबको हाइपर टेंशन है? क्या सबको कोई न कोई मानसिक बीमारी रहती ही है? क्या इनका दिमाग शांत नहीं रहता?
जवाब है नहीं, ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है। धर्म से जुड़ी जो प्रथाएं किसी वैज्ञानिकी कारणों से मानी जा रही हैं वह दुनिया के खास भूगोल को ध्यान में रखकर ही बनाई गई हैं। जो भारत का मौसम है वो ज़ाहिर सी बात है इंग्लैंड या कुवैत में नहीं हो सकता। इसलिए यहाँ की प्रथाएं और रिवाज़ इस भूगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए बनाए गए थे। हज़ारों सालों के ट्रैन्ज़िशन में इनमें बहुत से बदलाव भी हुए हैं तो बहुत सी प्रथाएं विलुप्त भी हुई हैं। फिर भी, किस चीज़ का कितना प्रभाव पड़ता है ये आपके अपने तजुर्बे पर ज़्यादा निर्भर करता है।
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एक व्यक्ति की आँखें कमज़ोर हैं पर उसने कभी चश्मा नहीं लगाया, तब वो कभी जान ही नहीं पायेगा कि साफ दृश्य क्या होता है! वो धुंधले दृश्य को ही सही विजन करार दे सकता है। यहाँ मैं आपकी राय भी जानना चाहूँगी, क्या आप सिंदूर लगाने के पक्ष में हैं या आपको लगता है कि अब बदलती (Modern) दुनिया में इसकी ज़रूरत नहीं रह गई है?
March 29, 2022 @ 9:10 PM
Bahut pehle ek youtube video me dekha tha ki ek lady doctor bata rahi thi ki jo real sindur hota hai vo ab milta hi nahi abhi Jo milta hai usme camical bahut hota hai isiliye ek lagane se achchha hai ki na lagae
Ye sach bhi hai Akshar ma bolti thi ye “ye vala sindur lagane se khujli hota hai”
Fir bahut sara laga ke try karti thi ki koun se vale se khujli nahi hau,
Lekin vo bhi asli hai ya nahi pata nahi..
March 30, 2022 @ 3:33 PM
ये सच है वाकई, अरिजनल organic कोई भी प्रोडक्ट अब मुश्किल से ही मिलता है। खुद बनाया जाए तो बेहतर।