साल के शुरुआत जनवरी में नेटफ्लिक्स पर ‘Kapil Sharma -आई एम नॉट यट’ का ट्रेलर निकला था। इसे ट्रेलर कहना नाइंसाफी होगी। प्योर अहंकार की झलक थी।
दरअसल, Kapil Sharma के टेलेंट ने उन्हें अब्बास-मस्तान की थ्रिलर जोड़ी से मिलवाया और पहली सोलो फ़िल्म ‘किस किस को प्यार करूँ’ दिलवाई। ऐसे मौके के लिए सैकड़ो कलाकरों मायानगरी में जीवनभर चप्पल घिस देते है। तो भी छोटा मोटा किरदार नसीब न होता है। लेकिन कपिल को लीड में फ़िल्म मिली। इसकी सफलता ने अहंकार को जन्म दिया। क्योंकि स्टैंडअप कॉमेडियन से अभिनेता बनकर कपिल खुद को बॉलीवुड के ए लिस्टर हीरो में समझ बैठे कि अब तो फ़िल्मों की लाइन लग जानी है। इसके बाद कपिल और उनके शो के को-स्टार के बीच बॉस और नौकर वाली दीवार खड़ी हो गई।
Kapil Sharma फिरंगी नामक फ़िल्मी कंटेंट से निर्माता बन गए और सोच बैठे कि क्यों न सारा मुनाफा अकेले कमाया जाए। फ़िल्म बनी, अपने ही शो पर ख़ूब प्रमोशन किया। लेकिन इस फ़िल्म ने कपिल को हकीकत बतला दी। आर्थिक तौर पर भी चपत लगी।
निसंदेह कपिल शर्मा ने संघर्ष किया और उसके बाद अच्छा मुकाम हासिल किया। कपिल शर्मा से ‘द कपिल शर्मा’ हो गए। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के बड़े बड़े लोग कपिल के मंच पर जाने की हसरत रखते है।
Kapil Sharma के स्टैंडअप कॉमेडी के तूणीर में कई अच्छे किरदार है और टाइमिंग भी बेजोड़ है। परन्तु इन किरदारों के इतर कपिल का घमंड ज्यादा हावी है। जो साथी कलाकारों की बेइज्जती को कॉमेडी समझ बैठा है। कॉमेडी कम दूसरों को ट्रोल करना अधिक रह गया है।
नेटफ्लिक्स पर अपने डेब्यूटेंट कंटेंट में कपिल ने कई ऐसे पंच मारे है. जिनमें ह्यूमर और कॉमिक कतई न था। बस तंज थे। इनकम टैक्स वाले प्रकरण और अन्य विवादों पर।
Kapil Sharma अक्सर सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स की पहली पसंद बने रहते है। सुनील ग्रोवर मामले से ट्रोलर्स गैंग मोहब्बत करती है। एयर स्ट्राइक के वक्त नवजोत सिंह सिद्धू के बयानात कपिल के खाते में जोड़े गए।
पहले लॉक डाउन में महाभारत सीरियल की स्टार कास्ट एपिसोड के वक्त मुकेश खन्ना साहब ने इसे अश्लील और फुहड़ करार दिया था। इसके बाद ख़ूब कॉन्ट्रोवर्सी हुई। युधिष्ठिर यानी गजेंद्र चौहान ने मुकेश खन्ना जी पर जुबानी और ट्वीट के जरिये प्रहार किए। कपिल भी पीछे न रहे। उन्हें तो इस युद्ध की सुर्खियों से शो को टीआरपी गेन करवानी थी।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को किताब लॉन्च के लिए कपिल के शो में शामिल होना था। लेकिन सिक्योरिटी गार्ड ने केंद्रीय मंत्री को प्रवेश देने से सख्त मना कर दिया। इसे लेकर भी बड़ा हंगामा क्रिएट हुआ था।
अभी हालिया ताजातरीन मामला विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फाइल्स को लेकर उठा। जब विवेक ने पब्लिक में कहा कि Kapil Sharma ने उनकी फिल्म को प्रमोट करने के लिए मंच न दिया। फिर क्या ट्रोल गैंग तैयार थी। टूट पड़ी। #BoycottKapilSharma हैशटैग की बरसात कर दी। बॉलीवुड गलियारें में ख़बरें उड़ रही है कि कपिल शर्मा शो जल्द बन्द होने जा रहा है। इसकी वजह कपिल के कनाडा टूर को बतलाया जा रहा है। लेकिन टीआरपी भी वजह बनी हुई है।
वाक़ई Kapil Sharma बड़ा नाम हो चुके है। लेकिन उनकी हरकतें उतनी ही छोटी और ईगोस्टिक हो गई है। सहनशीलता और धैर्य तो दूर तलक नजर न आता है। विवाद और कपिल दोनों एक दूसरे के पूरक है। ये एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते है।
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पहले ये स्टेटस राखी सावंत के पास हुआ करता था। लेकिन धीरे धीरे Kapil Sharma ने इसे अपना स्टेटस बना लिया। सफलता मिलना बड़ी बात नहीं है। सिनेमाई भाषा में कहे तो स्टारडम मिलना बड़ी बात नहीं है। बस एक कंटेंट शिखर पर बैठा सकता है। लेकिन….लेकिन! स्टारडम को मैंटेन करना, इसे संभाले रखना ही असल खेल है। इसका स्वभाव भी शराब के सरीखा है। चढ़ने के बाद संभालना ही कठिन कड़ी है। पी तो कोई भी लेता है। शराब को पचाना ही असल टास्क है। जो इसे पचा लेते हैं, वे ही आसमान में चमकते है। जो लुढ़क जाते है। वे टूटकर गर्दिश में गिर पड़ते है। भले ही कितना ऊंचा स्टारडम हासिल हुआ हो। सब इतिहास हो जाता है। यकीन न हो तो राहुल रॉय को पूछे ले।
ये लेखक के निजी विचार हैं।