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Googly Book Review: पीले रंग की इस किताब पर जब मेरी नजर पड़ी तो नाम को पढ़ते ही मुझे भारतीय क्रिकेट टीम की याद आ गई। और जब मैंने स्कूल बैग लिए स्टूडेंट को देखा तो मुझे समझ आ गया कि किताब…।

अगर आप अपने स्कूल के दिन, दोस्तों को और क्रिकेट को बहुत मिस कर रहे हैं तो एक किताब है जिसे आप पढ़कर नोस्टालजिक फील कर सकते हैं। Googly, एक नए लेखक ज्ञानेश साहू की किताब है। ये ज्ञानेश की पहली किताब है। 

पीले रंग की इस किताब पर जब मेरी नजर पड़ी तो नाम को पढ़ते ही मुझे भारतीय क्रिकेट टीम की याद आ गई। और जब मैंने स्कूल बैग लिए स्टूडेंट को देखा तो मुझे समझ आ गया कि किताब की कहानी दोस्ती और क्रिकेट से जुड़ी हुई है। 

तो आईए जानते हैं कि कहानी कैसी है।

Googly

कहानी शुरू होती है 2007 के क्रिकेट वर्ल्ड कप से जिसे देखने के लिए भिलाई शहर के लोग एक मैदान में इकट्ठा हुए थे। मैच में इंडिया के खराब प्रदर्शन को देखते हुए आकाश जो कहानी का मुख्य पात्र है और योगेश गुस्से में थे। पहली इनिंग खत्म होते ही दोनों नन्हे भाई की चाय पीने गए जो भिलाई की सबसे फेमस चाय की टपरी है। 

आकाश और योगेश 11वीं के स्टूडेंट है जिनका फाइनल रिजल्ट आने वाला था। आकाश को तो कई चिंता नहीं थी लेकिन योगेश अपने रिजल्ट को लेकर काफी चिंतित था। पहला कारण ये योगेश पढाई में कम अच्छा था। और दूसरा वो अंडर 19 क्रिकेट टीम में सिलेक्ट होने के लिए क्रिकेट की कोचिंग लेता था। 

इसी वजह से उनकी एक क्रिकेट टीम भी है जो उनके साथ रोज क्रिकेट खेलते हैं। इस टीम में आकाश और योगेश के अलावा कमलेश, राकेश और खिलेश भी है। 

इसके बाद एंट्री होती है आकाश की बचपन की दोस्त शिल्पा की। वो आकाश की ट्रबल शूटर है। माने उसके पास आकाश के हर प्रॉब्लम का सोल्युशन है। 

Googly

सभी कैरेक्टर के इंट्रो के बाद कहानी आगे बढ़ती है। आकाश और उसकी टीम क्रिकेट खेलने का प्लान करते हैं लेकिन योगेश का दूसरे टीम मेंबर्स से झगड़ा हो जाता है और योगेश उन्हें एक मैच खेलने के लिए चुनौती देता है। हालांकि आकाश की टीम मैच हार जाती है। 

अगले दिन स्कूल में रिजल्ट अनाउंस होता है और आकाश राहत की सांस तब लेता है जब उसे पता चलता है कि योगेश एग्जाम में पास हो चुका है। अब यहीं पर एंट्री होती है कहानी की हीरोइन यानी माहिरा की। माहिरा की दोस्ती आकाश और उसकी गैंग से होती है। 

12वीं कक्षा में होने के कारण सभी पढ़ाई पर अधिक फोकस करने के लिए सब माहिरा के घर पर ग्रुप स्टडी करते हैं। माहिरा और आकाश की इस दौरान अच्छी दोस्ती हो जाती है। और धीरे धीरे..अरे सब कुछ यहीं बता दूँ? आगे क्या होता है ये किताब पढ़कर जानिए।

 

Googly

क्योंकि इसके बाद एक हादसा भी है और कुछ झगड़े भी, कुछ ऐसे ट्विस्ट्स भी हैं जो किताब पूरी पढ़ने पर मजबूर करते हैं।

भाषा शैली– किताब के राइटर ज्ञानेश साहू ने एक आम बोलचाल की भाषा में किताब लिखी है। जैसे स्कूल के बच्चे बात करते हैं और जैसा सोचते हैं किताब भी उसी भाषा में लिखी गई है। अगर कोई पहली बार किताब पढ़ने के बारे में सोच रहा है तो उसके लिए गुगली से शुरुआत करना बहतर होगा। लेकिन जो पाठक पहले ही कई सारी किताबें पढ़ चुके हैं उन्हें गुगली बोर कर सकती है। 

किताब को पढ़ते वक्त मैं भी कई बार इसे वापस रख देती थी। मेरे लिए इस किताब की भाषा शैली बचकानी है। हालांकि इस किताब को पढ़ते वक्त मैं अचानक ही उठकर बैठ गई। 100 पेज खत्म करने के बाद जब मैंने आगे पढ़ना शुरू किया तो ऐसा लगा जैसे किसी एवरेज फिल्म को इंटरवल के बाद किसी अवॉर्ड विनिंग डायरेक्टर ने डायरेक्ट की है।

वर्तनी- किताब में न के बराबर गलतियां है। ऐसा लगा जैसे राइटर ने लिखते वक्त इस बात का खास ध्यान रखा था। 

क्लाइमेक्स- किताब का क्लाइमेक्स पढ़ने से पहले आपको पता चल जाएगा कि अंत में क्या होने वाला है। लेकिन फिर भी आप खुद को पढ़ने से रोक नहीं पाएंगे। मस्ती, मजाक, हँसी से शुरू हुई ये कहानी अंत में इमोशनल कर देती है और बैकग्राउंड में ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ बजने लगता है। मैं स्वभाव से ज्यादा ही इमोशनल हूँ शायद इसलिए क्लाइमेक्स ने मुझे भी रुला दिया। 

ओवरऑल कहे तो अगर आप एक पाठक के तौर पर किताब पढ़ रहे हैं तो ये किताब की किसी अन्य किताब से तुलना कर न पढ़ें वरना पढ़ना मुश्किल हो जाएगा। ये एक हल्के मुड की किताब है जिसे आप उस वक्त पढ़ सकते हैं जब आप अपने बचपन को याद कर रहे हो। गुगली आपको आपके बचपन से एक बार फिर मुलाकात कराने में सफल साबित होगी। 

अगर आपको ये समीक्षा पसंद आई है तो आप ‘Googly’ ज़रूर पढ़ें। 235 रुपए की ये किताब फिलहाल Sahitya Vimarsh की official website पर 140 में मिल रही है। मौका न चूकें।  Review को जितनी दूर तक संभव हो शेयर करें, आपके comments और views हौसले का काम करते हैं।

उम्मीद करती हूँ कि आपको Googly का रिव्यू पसंद आया होगा। 

अगर आप अपने किताब का रिव्यू करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।  Also Read: Gardish mein hoon Review: फेसबुक पर बहस करने से तौबा करा सकती है ये किताब

 प्रगति राज

Googly

 

आप किताब यहाँ से खरीद सकते हैं-


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