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Ela Veezha Poonchira एक मलयालम क्राइम थ्रिलर है। Ilaveezha Poonchira केरल का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। हिल के स्टेशन पर बाद में चलेंगे, पहले फिल्म की बात करते हैं।

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Ela Veezha Poonchira बढ़िया एक्टर्स के साथ, स्मार्टली लिखी और डायरेक्ट की गई फिल्म है। इसमें कोई बड़ी स्टारकास्ट, हीरोइन और गाना नहीं है। शुरुआत इतनी स्लो है कि फर्स्ट हाफ में लगता है कि किसी सुनसान चौकी पर तैनात पुलिस वालों का रूटीन रिकॉर्ड बजाया जा रहा है। सेकण्ड हाफ में फिल्म पेस पकड़ती है जब एक के बाद एक इवेंट्स चलते हैं, तब पता लगता है धीमी आँच पर पूरी कहानी पक रही थी।

इसकी यूएसपी, इसका नाम, इसकी लोकेशन है। Ela Veezha Poonchira नाम का बेहद ख़ूबसूरत हिल स्टेशन कोट्टयम से 60 किमी दूर है। इसका शाब्दिक अर्थ है, “वह घाटी, जहाँ पत्तियां नहीं गिरतीं”
ऐसा इसलिए कि हज़ारों एकड़ फैली सुरम्य वादियों, 3200 फीट की ऊंचाई के पहाड़ों, सरोवर और हरियाली के बावजूद यहाँ बड़े पेड़ नहीं हैं।

इसके सरोवर से जुड़ी अनेक लोककथाएं हैं, कुछ कहते हैं पांचाली यानी द्रोपदी यहाँ नहाती थीं, तो कुछ का कहना है कि माँ पार्वती यहाँ स्नान करती थीं।

Ela veezha poonchira है बेहद खूबसूरत

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इस मूवी का आधार भी एक लोक कथा का रूपक है। एक पुलिस वाला जब अपने सीनियर को इस नाम की उत्पत्ति की कथा सुनाता है कि “एक दिन जब देवी पार्वती इस सरोवर में स्नान कर रही थीं, तब कुछ देवगण पेड़ों की ओट लेकर चुपके से उन्हें निहार रहे थे। यह देखकर शिव जी कुपित हो गए और सब पेड़ों को भस्म कर दिया और श्राप दिया कि यहाँ अब से कोई पेड़ नहीं उगेगा। तबसे इस पोखर में कभी पत्तियां नहीं गिरीं। यह घाटी पर्णहीन हो गई। इसी से यह नाम पड़ा।”

इस पर सीनियर का जवाब था, “किसी और के पाप की सज़ा किसी और को मिली। पेड़ तो निर्दोष थे। दण्ड देना ही था तो देवताओं को दिया जाता, जिन्होंने यह धृष्टता की थी।”

Ela Veezha Poonchira की थीम भी यही है। सौबिन शहीर मलयालम सिनेमा का पहचाना चेहरा है पर जाना-माना नहीं है। अंडररेटेड एक्टर हैं। फ़हद फ़ाज़िल से लेकर ममूटी तक, रोमांचम, इरुल, भीष्म पर्वम, चार्ली, काली, जैक एंड जिल, ट्रांस, एंड्रॉइड कटप्पा, सोलो, जोसेफ, कार्बन जैसी काफ़ी फिल्मों में सपोर्टिंग रोल कर चुके हैं पर इस बार यह पूरी तरह उन्हीं की मूवी है।

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Ela Veezha Poonchira की शुरुआत होती है 3200 फीट की ऊंचाई पर स्थित पुलिस चौकी से। जहाँ दो पुलिस वालों की ड्यूटी है। मधु और वैंकयम। बारिश में वहाँ अक्सर बिजली गिरती है और दुर्घटनाएं होती हैं, इसलिये उन्हे गश्त लगाकर टूरिस्ट्स को चेतावनी देना, वहाँ से दूर रखना और अक्सर भगाते रहना पड़ता है, जिससे विवाद भी होते हैं। चूंकि सुरम्य स्थान है, पर्यटक आते ही रहते हैं। यू ट्यूबर, ट्रेवल ब्लॉगर, एकांत चाहने वाले प्रेमी युगलों से उनकी भिड़ंत होती रहती है।

वैंकयम पारिवारिक समारोह में जाने के लिये छुट्टी लेता है, जिसकी जगह दूसरे पुलिसवाले सुधी को आना है, जो अब तक पहुँचा नहीं है।

एक महिला अपने दो बेटों के साथ Ela Veezha Poonchira घूमने आई है, जिसके पति पच्चीस साल पहले यहाँ ड्यूटी किया करते थे। छोटा भाई किसी काम से नीचे जाता है, इसी बीच तूफ़ानी बारिश शुरू हो जाती है। मधु फ़ौरन बड़े भाई और माँ को अंदर अपने केबिन में रहने की जगह दे देता है, वापस ऊपर आते टाइम बिजली गिरने से छोटे भाई की मौत हो जाती है। बाद में पुलिस एम्बुलेंस उन्हें ले जाती है, इस सबसे मधु विचलित हो जाता है, ठीक से न खा पाता है और न ही सो नहीं पाता है।

सुधी, एक लापरवाह, खिलंदड़ सा पुलिस वाला है, खाना-पीना, शराब और नाच गाने में मस्त रहता है।

अचानक la Veezha Poonchira घाटी में हलचल तब बढ़ जाती है, जब एक के बाद एक बॉडी पार्ट्स अलग-अलग जगह से बरामद होने लगते हैं। लाश के टुकड़ों में जो उंगलियां होती हैं, उन पर स्किन नहीं होती। पुलिस का दस्ता उनकी चौकी भी पहुँचता है। अफसर काफ़ी चिड़चिड़ा है, उसकी बीवी उसके ड्राइवर के साथ भाग गई है और बच्चों की कस्टडी को लेकर परेशान है। सुधी आदत के मुताबिक़ लेडी कॉन्स्टेबल से फ्लर्ट करता है तो कभी एक कपल को छुपकर देखता है। मधु उसे नियम संयम की सीख देता रहता है कि उसकी शादी की तारीख़ नज़दीक है, उसे अपनी हरकतों से बाज़ आ जाना चाहिये।

सुधी को पता है कि अगर वे लोग इतने ही क़ाबिल होते तो उनकी ड्यूटी इतनी ख़तरनाक, कठिन जगह, इतनी ऊंचाई और वीराने में नहीं लगाई जाती। जब मधु उससे पूछता है कि कौन क़ातिल हो सकता है और यह बॉडी किसकी है तो वह यही जवाब देता है कि इतने ही शार्प होते तो यहाँ नहीं पड़े होते, Ela Veezha Poonchira में ड्यूटी करने की बजाए किसी अच्छे शहर के ढंग के पुलिस स्टेशन में ड्यूटी कर रहे होते।

जैसे-जैसे पुलिस की तफ़्तीश आगे बढ़ती है, बॉडी की शिनाख़्त के साथ-साथ सारी कड़ियाँ जुड़ती जाती हैं, जो प्रेडिक्टेबल नहीं है, यह अच्छी बात है।

शाही कबीर इससे पहले जोसेफ और नायट्टू जैसी फिल्में लिख चुके हैं। इसे उन्होंने स्मार्टली डायरेक्ट किया है। कम बजट, न के बराबर तामझाम और बिना बड़ी स्टारकास्ट के अच्छी फिल्म बनाई है। शुरुआत धीमी है ज़रूर है इसलिए ओटीटी दर्शकों को सब्र रखना पड़ सकता है। सिनेमाघरों में डॉल्बी विज़न 4k HDR में रिलीज़ होने वाली यह पहली मलयालम मूवी है। अमेज़न प्राइम पर हिन्दी, अंग्रेज़ी सबटाइटल्स के साथ उपलब्ध है।

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नाज़िया खान


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