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Barricade – ज़िन्दगी अनिश्चिताओं का खेल है. घर से निकलने वाला शख्स ये तय भले कर ले कि उसे ‘उस’ ओर जाना है पर वो पहुँचेगा वहीँ जहाँ उसकी तकदीर उसका इंतज़ार कर रही होगी.
Barricade की कहानी दोस्तों की है. वो दोस्त जो कॉलेज में होते हैं, वो दोस्त जो झुंड बनाकर लड़ते हैं और एक लड़के की मुहब्बत को कामयाब करने के लिए सारे के सारे अपनी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा देते हैं.
इसकी शुरुआत अक्षय नामक लड़के से होती है जो छतीसगढ़ के जशपुर जिले में डीएसपी है और उसे ख़बर मिली है कि कुछ लोग थोड़ी दूरी पर हंगामा काट रहे हैं।
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वो वहाँ पहुँचता है और Barricade के एक तरफ पुलिस को देखता है और दूसरी तरफ स्टूडेंट्स को, बस यहीं उसे अपना छात्र जीवन याद आ जाता है और कहानी फ्लैशबैक में उतरते हुए जौनपुर, इलाहबाद, फिर बनारस में मौज मस्ती और फिर दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी करती और पॉलिटिक्स को छूती पुलिस ट्रेनिंग पर जाकर किनारे लगती है.
किताब में कुल जमा 140 पेज हैं जिनमें से शुरु के 60-65 पेज ऐसे हैं कि प्रूफ रीडर की कोताही से बचे चींटी कीड़े छोड़ दो तो बहुत मज़ा आता है, अच्छी किस्सागोई है. टिंच-बटन मोबाईल युग की लव स्टोरी है जहाँ मैसेज टाइप किये जाते थे.
स्नेक वाला गेम खेला जाता था. टिपिकल ‘जा बेवफा जा तुझे प्यार नहीं करना’ वाला प्रेम प्रसंग हँसाता भी है और मनोरंजन भी करता है.
इसके बाद कहानी राजधानी एक्स्प्रेस में बैठकर फटाफट दिल्ली में चार साल दौड़ी है और पुलिस ट्रेनिंग जैसा मज़ेदार वक्तव्य किसी हाल्ट स्टेशन की तरह आया और गया है। अंत में भावुकता का नमक भी है जो रोचक लगता है।

Barricade की भाषा शैली

….बहुत मज़ेदार है. यूपी बिहार का पूरा फ्लेवर है. डायलॉग्स इंटरेस्टिंग हैं. बहुत हाई-फाई न सही पर मनोरंजन करते हैं. एक तो यहाँ ज़िक्र करने लायक है.
मुलाहजा फरमाइए – “संडे को जब सब बिज़ी होते तब वो दोनों एक दूसरे को 15-15 मिनट तक चूमते, कई बार चित्रांगदा के होंट सूज जाते पर वो फिर भी नहीं रुकते”
इस तरह चूमा-चाटी वाला ये इकलौता प्रसंग है. बाकी मोडिफाइड गालियाँ इसमें बहुत हैं. चादरमोद और तेरी डैश का भरोसा करके कॉलेज पार्ट में बहुत गालियाँ हैं जो मोडिफिकेशन की वजह बुरी लगने की बजाए हँसाती हैं।

एक नज़र barricade के शानदार कवर पर भी –

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Barricade के पार का चरित्र चित्रण

और मज़ेदार है। कैरेक्टर्स की भरमार है. इतने करैक्टर हैं कि अगर ये सच्ची कहानी से प्रेरित न होती तो याद रखने के लिए कैरिक्टर कार्ड्स बनाने पड़ते। पर मुख्यत 12 लोगों के नाम और आज वो किस ओक्युपेशन में हैं इसका विवरण आख़िरी पन्ने पर दिया है। फिर भी ज़िक्र के काबिल अक्षय, बंटी, आशुतोष और चित्रांगदा हैं।
आशुतोष का करैक्टर पॉवरफुल है। अक्षय प्रोटागनिस्ट है तो उसका कन्फ्यूज़ होना जमता है। बंटी अक्षय का डाई हार्ट दोस्त है और चित्रांगदा उसकी गर्लफ्रेंड है. चारों ही मज़ेदार करैक्टर हैं, हालाँकि फोकस सिर्फ अक्षय पर ही है, लेकिन बाकी भी अपनी हाज़िरी लगवाने और यादगार बनने से नहीं चूकते हैं।
अक्षय पर सारी फुटेज है पर बंटी का पात्र मुझे बहुत पसंद आया। उम्मीद है आप पढ़ेंगे तो आपको भी इसमें कुछ अनोखा नज़र आयेगा।
ये रिव्यू तो आपने पढ़ा ही नहीं – Uljhan Buljhan Pyaar Book Review
Barricade की एडिटिंग और #प्रूफ_रीडिंग में थोड़ी कोताही हुई है। कहानी थोड़ी बढ़ाई जा सकती थी, और बेहतर होती। प्रूफ रीडिंग में बहुत कुछ miss हुआ है, उम्मीद है अगले संस्करण में सुधार हो जायेगा।
कुलमिलाकर बैरिकेड कॉलेज लाइफ के मज़े लेने के लिए, हँसने टाइम पास करने के लिए इंटरेस्टिंग किताब है।  यूपीएससी के लिए इरादा मजबूत नहीं हो रहा है तो ये किताब आपके काम आ सकती है।
मनोरंजन के साथ-साथ बहुत कुछ सिखाती भी है ये किताब, हाँ अगर कुछ लंबी होती, तफ़सील से 20 पन्ने और भरे होते तो टेन ऑन टेन किताब हो सकती थी। पर मुझे पूरी उम्मीद है कि इसका अगला पार्ट ज़रूर आयेगा।
आज 17 जुलाई, किताब के लेखक – डीएसपी अभिषेक सिंह जी का जन्मदिवस है। आप उन्हें जन्मदिवस की बधाई के रूप में Barricade नीचे दिए लिंक से मँगवा सकते हैं। अगर आप पहले ही Barricade पढ़ चुके हैं तो आप amazon पर रिव्यू ज़रूर करें।

सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'

मैं सिद्धार्थ उस साल से लिख रहा हूँ जिस साल (2011) भारत ने वर्ल्डकप जीता था। इस ब्लॉगिंग के दौर में कुछ नामी समाचार पत्रों के लिए भी लिखा तो कुछ नए नवेले उत्साही डिजिटल मीडिया हाउसेज के लिए भी। हर हफ्ते नियम से फिल्म भी देखी और महीने में दो किताबें भी पढ़ी ताकि समीक्षाओं की सर्विस में कोई कमी न आए।बात रहने की करूँ तो घर और दफ्तर दोनों उस दिल्ली में है जहाँ मेरे कदम अब बहुत कम ही पड़ते हैं। हालांकि पत्राचार के लिए वही पता सबसे मुफ़ीद है जो इस website के contact us में दिया गया है।

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