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किसी गुंडे को सुधारने का सबसे अच्छा तरीका क्या है आपके पास? भई फरहाद सामजी की मानें तो बेस्ट उपाये है, उस गुंडे की biopic बना दो वो सुधर जायेगा।

कहानी शुरु होती है मुंबई में स्ट्रगल करती मायरा (कृति सेनन) से, जो अच्छी असिस्टेंट है पर पुराने डायरेक्टर के ईगो क्लैश के चलते फिल्म से निकाल दी जाती हैं। मायरा के पिता स्पॉट बॉय रहे हैं। मायरा उन्हें इज़्ज़त दिलाने का दृढ़ निश्चय करती है।

उसका प्रोड्यूसर (आश्विन मुशरन) कहता है कि तुम्हें फिल्म ही बनानी है तो किसी सोसाइटी हीरो पर क्यों, किसी डॉन पर बनाओ। वो ज़्यादा चलेगी!

Bachchhan Pandey का पहला पोस्टर, हालांकि यह लुक फिल्म में नहीं है

Bachchhan Pandey the kashmir files

नेक्स्ट, बलिया शहर को बाग़वा कर दिया है और यहाँ एक आँख वाले बच्चन पांडे (अक्षय कुमार) को सबको पीटते दिखाया है। सबको, वो कभी भी किसी को भी मार सकता है। वो गरीबों की थोड़ी बहुत मदद भी कर देता है। सब उससे डरते हैं।

मायरा को यहीं अपना दोस्त विशु (अरशद) मिलता है, इसके लिए भोजपुरी बोलने का मतलब सिर्फ एक दो शब्द हैं – “का बे”

फिल्म की राइटिंग यूनिट में आधा दर्जन लोग हैं, साजिद नडियावाला (जो प्रोड्यूसर भी हैं), फरहाद, तुषार, स्पर्श, ज़ीशान कादरी का भी नाम है, जो गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्म लिख चुके हैं। इन सबने मिलकर एक तेज़ रफ्तार स्क्रीनप्ले लिखा है, बस पढ़ना भूल गए हैं।

इस फिल्म में होती सारी घटनाएं इतनी काल्पनिक हैं कि avatar भी सच्ची घटना लगने लगे।

पर फिल्म फास्ट है, हँसती हँसाती व्हाट्सअप फॉरवर्ड जोक्स से भरपूर है।

एक्टिंग की बात करें ट्रैलर में ओवर लगते अक्षय फिल्म में बहुत जमे हैं। ऐसा action packed kick-ass रोल उन्हीं के लिए बना था।

कृति सेनन बढ़िया actor हैं, हम मिमि में देख चुके हैं। लेकिन न यहाँ कैरेक्टर impactful है, न ही उनकी acting.

अरशद वारसी एक बार फिर गोलमाल के माधव और मुन्ना भाई के सर्किट के बीच कहीं फंसे रहे। उनकी acting स्किल्स पर कोई शक नहीं लेकिन कुछ नया देखने की चाह निराश करती है।

Bachchhan Pandey Kashmir files

लेकिन, बाकी कास्ट इतनी ज़बरदस्त है कि फिल्म की लीड से ज़्यादा अटेन्शन पाती है। अभिमन्यु सिंह, संजय मिश्रा, प्रतीक बब्बर, सहर्ष कुमार (छिछोरे वाले) ने तो झंडे गाड़ दिए हैं। पेट दर्द करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वहीं पंकज त्रिपाठी का cameo रोल इतना ज़बरदस्त है कि आप फिल्म दोबारा देख सकते हैं। पहली बार उन्होंने गुजराती टोन में डायलॉग बोले हैं और हँसा-हँसा के बैठना मुश्किल कर दिया है।

Jacqueline Fernandez फिल्म में शो-पीस की तरह हैं। उनका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना-देना नहीं है।

म्यूजिक बहुत लाउड है। मार खाएगा और सारे बोलो बेवफा तो बिल्कुल बेतुके गाने हैं। अरीजीत सिंह का हीर राँझा गाना अच्छा गाना है।

बैकग्राउन्ड म्यूजिक और whistle theme बहुत मज़ेदार हैं। Julius Packiam और संगीतकार रॉय की मेहनत रंग लाई है।

एडिटिंग चारु रॉय ने की है। फिल्म इतनी तेज़ रफ्तार है कि ढाई घंटे कब निकल जाते हैं पता नहीं चलता। साथ ही कास्टिंग/क्रेडिट सीन भी अच्छे एडिट हुए हैं। पर voice dubbing synk इतनी गड़बड़ है कि कैरेक्टर अभी मुँह खोल भी नहीं पाता है और संवाद बज चुका होता है।

पर समस्या ये है कि फिल्म का कोई तुक नहीं है। तमिल फिल्म जिगरथैंडा को हूबहू उठाने की बजाए अपने हिसाब से अच्छा खासा तोड़ा मरोड़ा है, फिल्म सुस्त न पड़े इसके लिए हर संभव हथकंडे अपनाए हैं।

एंड मैसेज ये देने की कोशिश भी की है कि अगर कोई गुंडा 100-200 लोगों को बेरहमी से मार चुका है तो उसे सुधारने के लिए उसपर फिल्म बनाओ, उस फिल्म में उसके हाथ में बंदूक की जगह फूल दे दो। जनता पगली है, कुछ आता जाता नहीं इनको, ये फिल्म को हिट कर देंगे और गुंडा अचानक से अच्छा आदमी बन जायेगा।

फिर भी मैं जिस show में था वो housefull था। होली की शाम, जब लोग परिवार वालों से मिलते हैं, सबके साथ हँसते-बैठते हैं उस दिन भी show हाउसफुल क्यों था? क्या bachchhan pandey का भौकाल इतना बड़ा बन चुका है?

नहीं!

सवा छः बजे की bachchhan pandey से पहले 6 बजे का शो the Kashmir files का था, जो 4 बजे से ही हाउसफुल था, लोग जो लोग the Kashmir files देखने आए थे वही शो न मिलने पर बच्चन पांडे के साथ मजबूरन कुश्ती करने जा रहे थे। कल शाम ही करीब bachchhan pandey की करीब 500 screens the Kashmir files को दे दी गई हैं।

भावार्थ ये है मित्रों, कि Kashmir files 106 करोड़ तक पहुँच ही चुकी है, लाइफटाइम बिजनस 250 करोड़ से ऊपर करेगी। अब 25 मार्च को रिलीज़ होने वाली राजामौली की RRR ही है, जो शायद Kashmir files की गति को कुछ कम कर सके।

Rating – 4/10*

Review शेयर करें, मनोबल बढ़ाएं, इसका कोई extra पैसा नहीं लगता है।

सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’

bachchhan pandey the kashmir files


सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'

मैं सिद्धार्थ उस साल से लिख रहा हूँ जिस साल (2011) भारत ने वर्ल्डकप जीता था। इस ब्लॉगिंग के दौर में कुछ नामी समाचार पत्रों के लिए भी लिखा तो कुछ नए नवेले उत्साही डिजिटल मीडिया हाउसेज के लिए भी। हर हफ्ते नियम से फिल्म भी देखी और महीने में दो किताबें भी पढ़ी ताकि समीक्षाओं की सर्विस में कोई कमी न आए।बात रहने की करूँ तो घर और दफ्तर दोनों उस दिल्ली में है जहाँ मेरे कदम अब बहुत कम ही पड़ते हैं। हालांकि पत्राचार के लिए वही पता सबसे मुफ़ीद है जो इस website के contact us में दिया गया है।

4 Comments

  1. Hitesh Rohilla
    March 19, 2022 @ 2:56 PM

    बढ़िया समीक्षा।

    Reply

  2. आयुष श्रीवास्तव
    March 19, 2022 @ 5:53 PM

    ♥️

    Reply

  3. Ayush Srivastava
    March 19, 2022 @ 5:55 PM

    बढ़िया

    Reply

  4. विक्रम ई दीवान
    March 23, 2022 @ 8:19 AM

    बढ़िया रिव्यू।

    Reply

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