Action Hero बनना हर ड्रामा हीरो का सपना होता है। शाहरुख खान ड्रामा रोमांस में बढ़िया कर रहे थे पर उनको भी एक समय लगा कि नहीं यार, हीरो होना तबतक मुमकिन ही कहाँ है जबतक कोई किसी को पटक के दस-बीस जड़ न दे। यही चुल शायद ‘भले ऐक्टर’ आयुष्मान खुराना को भी हुई होगी।
Action Hero की क्या है कहानी
कहानी एक मानव खुराना नामक एक मशहूर Action hero की है जो हरियाणा में फिल्म शूट करने आया है। पर समस्या ये है कि उसको गुस्सा नहीं आ रहा है। गुस्सा लाने के लिए उसका मैनेजर रोशन (हर्ष छाया) झूठ बोल देता है कि उसकी फोर्ड Mustang आज नहीं आ पाएगी। बस अपने हीरो को गुस्सा आता है और वो मस्त बीस तीस गुंडों को कूटकर शॉट फाइनल कर देता है।

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लेकिन दूसरी ओर गुस्सा वहाँ मानव का इंतज़ार कर रहे विक्की सोलंकी (सुमित सिंह) को भी आ जाता है। ये लोकल इलेक्शन लड़ने वाले हैं, इनका भाई निगम पार्षद है जो 8 लाख वोटों से जीता है। (निगम में 8 लाख वोट?) पर मानव है कि इनसे मिल नहीं पा रहा, जब बिचारा मिलने जाता है तो पहले ही उसकी कार फोर्ड मसटंग आ जाती है! अगला बिचारा इंतजार करता रह जाता है और मानव गाड़ी लेकर फुर्र हो जाता है।
अब लोकल नेता का भाई अपनी फॉर्चूनर लिए मानव का पीछा करता है, उसकी इन्सल्ट करता है, और बकौल उसके भाई भूरा सोलंकी (जयदीप अहलावत), आठ-आठ रोटी 3 टाइम खाने वाला उसका छः फिट का भैया, एक धक्का लगते ही पत्थर पे गिरकर मर जाता है।
अभी मानव हो जाता है फरार, और उसके पीछे लग जाता है भूरा सोलंकी! इसी बीच मौका देखकर मानव की फैन फॉलोविंग उसका बॉयकॉट करना शुरु कर देती है (टिपिकल)
डायरेक्टर की डेब्यू फिल्म है Action Hero

डायरेक्टर अनिरुद्ध अय्यर की Action Hero डेब्यू फिल्म है, इससे पहले वो आनंद एल राय के साथ ज़ीरो, तनु वेड्स मनु और हैप्पी भाग जाएगी में सेकंड AD रह चुके हैं। कहानी लिखी भी अनिरुद्ध ने ही है, स्क्रीनप्ले में साथ नीरज यादव का लिया है, नीरज फिलहाल गोरखा भी लिख रहे हैं, इससे पहले नीरज की सिर्फ दो शॉर्ट फिल्में ही काउन्ट में हैं। मैं इन दोनों की बैकग्राउन्ड हिस्ट्री क्यूँ बाँच रहा हूँ?
क्योंकि दोनों ने मिलकर सिम्पल सी कहानी को complicate बनाने के चक्कर में जगह-जगह शौच की है। थ्रिलर बनाने के चक्कर में स्पूफ जैसा कुछ बना दिया है जो पहले एक घंटे तो फिर भी मनोरंजन करता है, लेकिन उसके बाद तो गाड़ी सड़क से नहीं उतरती बल्कि गाड़ी से पहिये ही निकल जाते हैं।
यहाँ तक की एक्शन सीन्स में भी साफ पता चलता है कि आयुष्मान का बॉडी डबल है जो लंदन में इधर से उधर बिल्डिंग बिल्डिंग कूदकर पुलिस से भाग रहा है!
बात करें स्क्रीनप्ले की-
Action Hero के स्क्रीनप्ले में लॉजिक से कोई लेना-देना नहीं है, पर पूरी कोशिश है कि आयुष्मान खुराना को हीरोगिरी भी मिले, उनको सेम टाइम पर बिचारा भी दिखा सकें और उनका बाल भी बांका न हो! हीरोगिरी के लिए ही एक से बढ़कर एक क्लीशै डाइलॉग्स लिखे गए हैं जैसे –
“अब मैंने लड़का सीख लिया है रोशन”
“दुनिया मेरी फोटो लेने के पीछे पड़ी हुई थी, अब मेरी जान के पीछे पड़ी हुई है”
Action Hero में कैसी थी एक्टिंग
अब बात एक्टिंग की करूँ तो आयुष्मान पहली बार ओवर होते नजर आए हैं, सलमान खान की भांति शर्ट उतारने और बिस्किट्स दिखाने पर इतना ध्यान दिया है कि एक्टिंग करना भूल गए हैं।
इसके ठीक उलट, जयदीप अहलावत छा गए हैं। हरियाणवी नेता का किरदार जैसे उन्हीं के लिए बना था। पर उनके कैरेक्टर का अंत बहुत बेतुका है। actually ये आधी फिल्म ही बेतुकी है।
सबसे बड़ी दिक्कत तो इस कान्सेप्ट में है कि एक फिल्म ऐक्टर, एक एक्स-पहलवान को दनादन पीट कैसे रहा है? क्योंकि फिल्म का एक्शन शरीर टच होने से पहले ही हाथ रोक देते हैं जबकि पहनवान लोग तो चित्त पड़े आदमी पर भी दो हाथ सेक दें तो कोई बड़ी बात न हो!
खैर, हर्ष छाया का कैरेक्टर छोटा है पर मज़ेदार है, उनको भी डायरेक्टर-राइटर बेहतर यूज कर सकते थे जैसे सुभाष कपूर ने जौली LLB में किया था।
बाकी इसमें किसी को खास फुटेज नहीं है, अक्षय कुमार कैमीओ रोल में आयुष्मान को एक्टिंग सिखा रहे हैं, पर जैसा कि पहले बताया, फिल्म का लॉजिक से लेना देना कम ही है। हाँ, बदरुल इस्लाम का छोटा सा रोल बहुत फनी बहुत एनर्टैनिंग है। जितेंद्र हूडा छोटे से रोल में अच्छे लगे हैं।
सिनिमटाग्रफी औसत है, कौशल शाह को अभी और मेहनत करनी होगी।
पराग छाबरा ने म्यूजिक के नाम पर दो बने-बनाये गाने की लस्सी घोल दी है। जेहड़ा नशा तो फिर भी ठीक है पर ‘बात बन जाए’ इतना वाहियात लगा है कि उसके बारे में लिखना फ़िज़ूल लग रहा है।
मलाइका अरोड़ा को अब ये एक्सेप्ट कर लेना चाहिए कि आंटी लोग आइटम नंबर करती अच्छी नहीं लगतीं।
गौतम जोगलेकर क्यों दाऊद अब्राहम बनाया, ये बिल्कुल समझ से परे है। उनका हेयरस्टाइल तो मेरे करेंट लुक से भी बुरा था।
एडिटिंग बढ़िया हुई है, निनाद खानोलकर की पूरी कोशिश थी कि Action Hero में तुक बैठे उसके पहले ही इसे खत्म कर दिया जाए।
कुलमिलाकर फिल्म Action Hero इरादतन आयुष्मान को सुपर-हीरो घोषित करने के लिए बनाई गई लगती है। करेंट मुद्दों को, सोशल मीडिया के फॉरवर्ड जोक्स को और वही घिसी पिटी दाऊद अब्राहिम की धमकियों को भुनाने की कोशिश की है पर रिसर्च के नाम पर ज़ीरो अंडा गोल है।
पर, मैं उम्मीदज़दा हूँ कि अनिरुद्ध अय्यर आगे चलकर एक बढ़िया फिल्म बनाएंगे और आयुष्मान से रीक्वेस्ट होगी कि वो डॉक्टर G जैसी फिल्मों का फ्लॉप होना सह लें पर अच्छे कंटेन्ट चुनने न बंद करें, गिने चुने ही हीरो बचे हैं इंडस्ट्री में जो actor भी हैं, वर्ना ‘मैं-मैं, सिर्फ मैं ही मैं नज़र आऊँ पूरी फिल्म में’ की ख्वाहिश में शाहरुख खान जैसे किंग ऑफ द बॉलीवुड का क्या हाल हुआ था, हम सबने देखा है। आयुष्मान तो उतने पोपुलर भी नहीं हैं।
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