जयंती रंगनाथन जी की दूसरी किताब ‘मैमराज़ी- बजाएगी पैपराज़ी का बैंड’ एक ऐसी किताब है जिसके किरदारों और होने वाली छोटी मोटी घटनाओं को शायद हम सभी ने कभी न कभी जिया है।
कैसे? आइए जानते हैं।
मैमराज़ी जो बजायेगी पेपराज़ी का बैंड
कवर सबसे पहले बात करते हैं कवर पेज की। किताब का कवर पेज काफी अट्रैक्टिव है। पिंक कलर की इस किताब पर एक बड़ी सी महिला की पेंटिंग बनी हुई है जो सर पर टोपी, पिंक टॉप और ब्लू जींस पहने बेहद खुश नज़र आ रही है। साथ ही नीचे की तरफ एक लड़का और लड़की की पीले रंग के कपड़ों में कठपुतलियाँ बनी हुई हैं। किताब के ऊपर की तरफ काले रंग से मैमराज़ी लिखा हुआ है। यूँ देखें तो कवर ही बता रहा है कि हेत पहने ये ‘मैम’ कैसे एक लड़के और एक लड़की को कठपुतली बना नचा रही हैं।
कहानी शुरू होती है स्वीटी नाम की महिला से जिसके वॉश बेसिन में आधी रात पानी भर जाता है और वो अपने पड़ोसी शशांक नाम के जूनियर-इंजीनियर को अपने घर ड्रेन लाइन ठीक करने के लिए बुलाती है। शशांक दिल्ली का रहने वाला है और भिलाई शहर में अभी अभी उसकी स्टील प्लांट में सरकारी नौकरी लगी है और वो अपनी पड़ोसन का वॉश बेसिन ठीक करने में लगा है।
वो तो भला हो इंटरनेट का कि उसने ऑनलाइन वीडियो देखकर स्वीटी भाभी की बड़ी समस्या हल कर दी, लेकिन खुद एक नई मुसीबत में फँस गया।
दरअसल, भिलाई में सभी लोगों का फेवरेट काम है अन्य लोगों की मदद करना, इनशॉर्ट, सभी के फटे में टांग अड़ाना जैसे – आजकल किसके घर में किसका रिश्ता पक्का हो रहा है, किस लड़की का किसके बेटे से चक्कर चल रहा है, कौन घर से भागने की तैयारी कर रहा है, कौन माँ बनने वाली है, किसने जिम ज्वाइन किया है, वगैरह वगैरह। तो शशांक इससे कैसे बच सकता था। अब स्वीटी भाभी के घर वॉश बेसिन ठीक करने की खबर पूरे भिलाई में रातों रात फेल चुकी है।
शशांक ये सोच-सोचकर बहुत हैरान है कि ऐसा कैसे हो सकता है। साथ ही परेशान भी है क्योंकि पहली बार कोई उसके पर्सनल स्पेस में इस तरीके से दखल दे रहा है।
खैर, इस कहानी में स्वीटी भाभी और शशांक के अलावा और भी कई इंपोर्टेंट करैक्टर हैं जैसे डीडी, स्वीटी का हस्बैंड जिसे वो प्यार से राज पुकारती है। रौनी- शशांक का बॉस, झुमकी, रौनी की पत्नी और स्वीटी की दोस्त, विरल, शशांक का सहकर्मी और दोस्त, सुंदरी, शशांक की गर्लफ्रेंड जो दिल्ली में रहती है और नंदू, शशांक का हाउस हेल्पर।
साथ ही कई अन्य किरदार भी हैं जो किताब में आगे पढ़ने को मिलेंगे।
एडिटिंग की बात करें एडिटिंग की तो किताब में न के बराबर गलितयां मौजूद है। कुछ गलतियां हैं भी तो वो इग्नोर हो जाएंगी।
किताब कैसी लगी
(Spoiler Alert)
- मैमराज़ी की कहानी आपको शुरू से लेकर अंत तक बांध कर रखती है। जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है आपको भाभियों पर गुस्सा भी आता है जिससे आगे पढ़ने की उत्सुकता बढ़ने लगती है।
- कहानी कहीं भी बोर नहीं करती । हाँ, जब शशांक की गर्लफ्रेंड से उसका ब्रेकअप हो जाता है उस हिस्से से लेकर हॉस्पिटल में भर्ती होने तक का हिस्सा थोड़ा लंबा लगता है।
- कहीं भी शब्दों में दोहराव नहीं मिलते। हर बात रोचक अंदाज़ से लिखी गई लगती है।
- किताब में मौजूद सभी कैरेक्टर्स का करैक्टाइजेशन अच्छे से किया गया है, जिसकी वजह से सभी किरदारों के साथ एक जुड़ाव महसूस होता है।
- भिलाई शहर की कहानी पढ़ते पढ़ते आप खुद को उस शहर का हिस्सा मानने लगते हैं।
- इस कहानी को पढ़ते-समझते कई बार ऐसा मौका आता है जब ये अपनी ही कहानी लगने लगती है, शायद ये ही किताब की USP है।
Final verdict
मैमराज़ी एक अच्छी एनर्टैनिंग किताब है। 184 पन्नों में सिमटी इस किताब को एक ही सिटिंग में पूरा पढ़ने लायक सारे तत्व इसमें मौजूद हैं। रोमांटिक कॉमेडी के साथ-साथ इसमें सस्पेन्स का तड़का भी बना रहता है।
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प्रगति राज