बीती रात मानव कौल की किताब Titali पढ़ी। या यूँ कहूं कि आज सुबह के 4 बजे उनकी किताब पूरी की। बहुत दिनों बात किसी किताब को पूरा पढ़ने में 5 रातों का समय लगा है। (क्योंकि दिन तो रोटी कमाने में निकल जाता है) तो आइए जानते हैं मानव की इस नई नवेली किताब तितली (Titali) के बारे में।
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कहानी titali की
तब शुरू होती है जब कोरोना लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा रहा था। इसी दौरान Manav Kaul भी कोरोना संक्रमित हो गए थे। जिस दिन उन्हें कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट मिली उनकी रात बहुत मुश्किल से बीती। डॉक्टर से बात करने के बाद अपनी एंजाइटी कम करने के लिए उन्होंने डिब्बे से सिगरेट निकाली और उसे तोड़कर डस्टबिन में फेंक दिया। एंजाइटी तब भी शांत नहीं हुई तो डेथ पर लिखी सभी किताबों और एक कप चाय अपने साथ लेकर बैठ गए। इसी दौरान उनकी मुलाकात Carl’s Book से हुई। उसी रात मानव को किताब की राइटर Naja Marie Aidt जो की मूल रूप से डेनमार्क की निवासी हैं; का सपना आया और उनकी इच्छा हो गई कि वो एक बार उनसे मुलाकात करें। इस किताब के बारे में मानव ने इतने लोगों से बात की कि उन्हें संयोग से राइटर की ईमेल आईडी मिल गई।
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उन्होंने नाय्या को लैंडोर (पता नहीं मानव ने इस जगह का जिक्र क्यों किया, लैंडोर की सबसे खास बात ये है कि यहाँ नाम-मात्र टूरिस्ट जाते हैं) से ईमेल भेजा और वहीं उनके जवाब का इंतजार करने लगे। यहाँ उनकी मुलाकात शायर से हुई जो कहानी की मुख्य पात्र है। उन्होंने अपने सपने का जिक्र शायर से किया। न चाहते हुए भी शायर इस कहानी का हिस्सा बन गई। अचानक एक दिन मानव को नाय्या का जवाब आया और वो उनसे मिलने कोपेनहेगन (देनमार्क) चले गए। इसके बाद नाय्या से उनकी मुलाकात कैसी रही, ये जानने के लिए किताब पढ़ना ही अंतिम उपाय है।
मेरे विचार भी Titali से
बुक रिव्यू में कहानी के अलावा और भी कई चीजें मेटर करती हैं जैसे एडिटिंग और बुक का कवर पेज। मैं इनके बारे में बात इसलिए नहीं करूंगी क्योंकि किताब में नामात्र प्रूफ-रीड मिस्टेक थीं और रही बात कवर में किस महिला की तस्वीर है तो ये एक रहस्य है जो किताब पढते समय हीखुलेगा। ये वो मेलोडी है जिसके स्वाद खाने के बाद ही पता चलेगा।
अब जो इस किताब को पढ़ते-पढ़ते महसूस हुआ, वो कुछ इस प्रकार है कि –
- मैंने थकावट को नहीं देखा है लेकिन अगर थकावट का कोई चेहरा होता तो वो मानव कौल की शक्ल से मिलता जुलता होता। उन्होंने इस किताब में थकान का इतना जिक्र किया है कि पढ़ते समय कई बार मैं भी थक जाती थी।
- मानव की किताब में कई किताबों का बार-बार जिक्र होता है जो मेरे जैसे पाठक के लिए बहुत फायदेमंद है, लेकिन उनकी किताब में दो और चीजों का भी बार-बार जिक्र होता है वो है सिगरेट और शराब। उनकी किताब में इनका इतनी बार जिक्र हो चुका है कि मैं भी खुद को चैनस्मोकर समझने लगती हूं। अगर ये किताब कोई आर्टिकल होती तो सीएमएस पर लगाने के दौरान फोकस कीवर्ड में सिगरेट ही लिखा जाता।
- मानव ने किताब में दो जगहों के बारे में बताया है, पहला लैंडोर और दूसरा कैपेनहेगन। मैं लैंडोर जा चुकी हूं इसलिए मानव की इस किताब को पढ़ते वक्त भी मुझे लैंडोर का वो दिन याद ही नहीं आया जब मुझे वहाँ अकेलापन महसूस हो। इतनी सुंदरता के बीच भला कौन खुद को अकेला महसूस करेगा? लेकिन मुझे कोपेनहेगन कई बार हॉलीवुड की उन डॉर्क फिल्मों की तरह लगा जिसे देखने से मैं हमेशा बचती हूं। ट्रैवलिंग को इतना डिप्रेसिंग केवल मानव ही लिख सकते हैं।
- उनकी कहानी में दो मुख्य महिला कैरेक्टर हैं, पहली शायर और दूसरी नाय्या। नाय्या कोई काल्पनिक किरदार नहीं है इसलिए किताब में उनके बारे में जो भी लिखा है मेरे अनुसार वैसा ही हुआ होगा, लेकिन शायर अगर एक काल्पनिक किरदार है तो उनके किरदार को इतनी सहजता से लिखने के लिए तारीफ, लेकिन अगर शायर केवल किरदार नहीं है तो एक लेखक का किसी महिला से निजी संवाद को इस तरह लिखना मुझे पसंद नहीं आया। अन्य फैन्स की तरह मैं भी मानव कौल के अभिनय और लेखन की फैन हूं लेकिन मैं उनसे कभी मिलना नहीं चाहूंगी क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि मानव रोज़-मर्रा में मिलने वाले लोगों को ही अपनी अगली किताब का किरदार बनाते होंगे और किसी की किताब का कैरेक्टर बनने का बिल्कुल शौक नहीं है।
- अपनी किताबों में मानव कौल रियल नहीं लगते। ऐसा लगता है कि वो भी कोई किरदार निभा रहे हैं। एक ऐसा किरदार जो हर समय एक झिझक के साथ रहता है, जिसकी पर्सनैलिटी अंडरडॉग है, जो अक्सर अपने लिखे को मिटा देता है, और उसे समझ नहीं आता की वो क्यों लिखते हैं। मेरे अनुसार मानव खुद को छोटा दिखाने का अभिनय इसलिए करते हैं ताकि पाठक उन्हें एक आम इंसान समझे, लेकिन मेरे जैसे फैन्स के लिए उनका हीरो ऐसा नहीं होना चाहिए।
खैर, उम्मीद है कि वो कभी ये मुखौटा उताकर लिखेंगे और तब मैं एक ईमानदार फैन की तरह उनकी तारीफ में उनकी किताब का रिव्यू करूंगी।
ईमानदारी से लिखूँ तो Titali ने मेरा बहुत समय खा लिया है, पर इसको पढ़ते-पढ़ते मुझे कई बार लगा कि नाय्या की देथ पर लिखी किताब पढ़ूँ, फिर हर बार यही ख्याल आया कि अभी ज़िंदगी के बारे में इतना कुछ पढ़ने को है, मौत पर लिखी किताब मँगवाने की जल्दी क्या है।
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