Mission Majnu Review: सिद्धार्थ मल्होत्रा और रश्मिका मंदाना की फिल्म मिशन मजनू नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो चुकी है। आइए कहानी, डायरेक्शन, म्यूजिक और एक्टिंग के जरिए जानते हैं कि फिल्म देखी जानी चाहिए या नहीं।
कहानी: Mission Majnu पाकिस्तान में एक भारतीय जासूस की कहानी है। 1974 में भारत ने सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया था। इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो (रजित कपूर) परेशान हैं। आईएसआई प्रमुख मकसूद आलम (शिशिर शर्मा) की सलाह पर, पाकिस्तान नीदरलैंड में स्थित एक परमाणु साइंटिस्ट अब्दुल कदीर खान (मीर सरवर) को पाकिस्तान बुलाने का फैसला करते हैं। ए क्यू खान को परमाणु बम बनाने की जिम्मेदारी दी जाती है और पाकिस्तान ब्लेक मार्केट से अपने हिस्से को सुरक्षित करने की योजना बनाता है।
ये भी पढ़ें: Review: Action Hero बनना कहीं आयुष्मान खुराना के शाहरुख बनने की पहली सीढ़ी न बन जाए
Gandhi Godse Ek Yuddh Review: मार्वल की what if सीरीज़ को सीरीअस ले गए राजकुमार संतोषी
रॉ के प्रमुख आर एन काओ (परमीत सेठी) को पता चलता है कि पाकिस्तान कुछ करने की कोशिश कर रहा है। भारत के प्रधान मंत्री (अवंतिका अकेरकर) के सपोर्ट के साथ, वह रावलपिंडी में अपने एजेंट, अमनदीप सिंह उर्फ तारिक (सिद्धार्थ मल्होत्रा) को परमाणु बम सुविधा के ठिकाने का पता लगाने के लिए कहता है। तारिक एक दर्जी के तौर पर काम कर रहा है ताकि किसी को संदेह न हो। उसे एक अंधी लड़की नसरीन (रश्मिका मंदाना) से प्यार हो जाता है और दोनों शादी कर लेते हैं। तारिक नसरीन के चाचा मोमिन (मनोज बख्शी) की दर्जी की दुकान पर काम करता है और उन्हें अक्सर पाकिस्तानी सेना के लिए कपड़े सिलने का ऑर्डर मिलता है।

Mission Majnu Review: राज़ी, डीडे, रोमियो अखबर वाल्टर कहानी भी सेम है
फिल्म Mission Majnu की कहानी ऐसी है जो हम पहले कई बार देख चुके हैं जिनमें डीडे, राजी, रोमियो अखबर वाल्टर, परमाणू शामिल है। कहानी और डायलॉग पर खास मेहनत नजर नहीं आई। कोई डायलॉग ऐसा नहीं था जो थोड़ा हटकर हो।
Mission Majnu Review: शुरुआत अच्छी थी, लेकिन एक्शन सीन्स संभाल न सके
डायरेक्शन: शांतनु बागची का निर्देशन अच्छा है। डायरेक्टर की Mission Majnu डेब्यू फिल्म है। फिल्म में भरपूर ड्रामा और रोमांच था, फिल्म को एक साथ सही से बांधा गया लेकिन एक्शन सीन्स को ढीला छोड़ दिया गया। पाकिस्तान में परमाणू बम बनाया जा रहा है, इसे पता लगाने का तरीका काफी रोमिंचित था और फिल्म का एक सबसे अहम हिस्सा था। हालांकि फिल्म में इजराइल वाले एंगल को ठीक से बिना समझाएं छोड़ दिया गया, ये सीन फिल्म में काफी कंफ्यूजिंग था। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस एयर हमलों को रोकना इतना जरूरी था उसके पीछे की मंशा को बताया नहीं गया।

Mission Majnu Review: सिद्धार्थ को इग्नोर कर अन्य कलाकारो पर करें फोकस
एक्टिंग: सिद्धार्थ मल्होत्रा की एक्टिंग एवरेज है। हालांकि कुछ सीन्स में वो बेहतरीन नज़र आए। सपोर्टिंग एक्टर शबीर हाश्मी, ज़ाकिर हुसैन, कुमुद मिश्रा, परमित सेठी ने अपने किरदार को जस्टिफाई किया। शारिब हाशमी (असलम उस्मानिया), उम्मीद के मुताबिक अच्छे दिखें। कुमुद मिश्रा (मौलवी) के पास फ़र्स्ट हाफ़ में कुछ खास सीन नहीं दिए गए और सेकेंड हाफ में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया है । ज़ाकिर हुसैन अपने रोल में बेहतरीन नजर आए। रश्मिका मंदाना की स्क्रीन प्रेजेंस अच्छी है। अपने किरदार को उन्हें बखूबी निभाया है। शिशिर शर्मा, मीर सरवर, रजित कपूर, परमीत सेठी और मनोज बख्शी के रोल काफी कम हैं लेकिन वे सभी बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं।

Mission Majnu Review: मजा नहीं आया
म्यूजिक: फिल्म का म्यूजिक Rochak Kohli का है और इसके लिरिक्स मनोज मुंतिशर ने लिखे हैं। फिल्म में देशभक्ति सॉन्ग ‘माटी को माँ कहते हैं’ सोनू निगम की आवाज में अच्छा लगा लेकिन बीते कुछ सालों में आए देशभक्ति गाने के मुकाबले हल्का है, आसानी से ज़ुबान पर नहीं चढ़ता है। बाकि गानों ने भी डिसअपॉइंट किया है।
कुलमिलाकर फिल्म Mission Majnu अच्छी है। अगर सिद्धार्थ मल्होत्रा को इग्नोर किया जाए तो अन्य कलाकारों के लिए फिल्म देखी जा सकती है। इतिहास में हुई घटना को याद रखने के लिए ये फिल्म बच्चों को भी दिखाई जा सकती है। फिल्मों के जरिए समझना आसान होता है। इस फिल्म को पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं।