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ढेर हंगामे और घणी नौटंकी के बाद चाचा कैमरून की Avatar 2 (द्वितीय) पर्दे पर सुबह 6 बजे ही आ गई। पर मैं जिस शो को देखने पहुँचा वो साढ़े आठ का था। शुरुआत हुई नीली बिल्ली नायित्री से जो हाथ में मोतियों की माला लिए कोई अफ्रीकन गाना गा रही थी।

नरेशन में मा’जेक सुली उर्फ सैम वॉरथिगटन बता रहा है कि परिवार में हर नये सदस्य के लिए माला में एक मनका जोड़ दिया जाता है। स्काई पीपल, बोले तो आकाशवासियों के जाने के बाद अब उसने परिवार बढ़ाया है। उसके नतियम नामक एक बेटा हुआ है। फिर लोअक नामक एक और बेटा हो जाता है, ये बेटा दुर-दुर गाली ही खाता रहता है। अब पिछले पार्ट की डॉक्टर ग्रेस, जो मर गई थी; अबकि बाई दी ग्रेस ऑफ डॉक्टर ग्रेस; वो टीनेजर किरी बनी है। इस होशियार अलौकिक बच्ची को पता ही नहीं है कि इसका पापा कौन है!

3 बच्चे हो गए बहुत है? ऐसे कैसे! अपना हीरो अर्थ से पंडोरा गया है, आबादी न बढ़ाए ऐसा कैसे हो सकता है? तो अब जेकसुली एक बच्ची और कर लेता है। जमा पिछली बार खदेड़ के मारे गए कर्नल का एक बेटा भी था जो क्रायो स्लीप में फिट न हो पाने के कारण यहीं रह गया और जेक के परिवार ने ही पाल लिया। ये बच्चा मोगली के साइज़ में टार्जन लगता है।

तो दोस्तों अबकी Avatar 2 लेने के लिए आ रहे हैं, साक्षात कर्नल लाठी

तो ऑल्मोस्ट आधा दर्जन बच्चे फिल्म के पहले 15 मिनट्स में ही हो जाते हैं। इसके बाद Avatar 2 में ट्विस्ट, अर्थ वासी फिर आते हैं, अबकि बड़ी गन, बड़े जहाज लेकर आए हैं और स्टीफन लैंग, अपने मरहूम कर्नल; वो भी ना’वी अवतार में जीवित हो जाते हैं। उनकी पूरी टीम भी ना’वी अवतार में है। अब क्या करना है?

अब जेकसुली और उसकी बीवी नीली बिल्ली को दौड़ा-दौड़ कर मारना है। और जेक एण्ड टीम को क्या करना है? उन्हें इधर-से-उधर भागकर कहीं पानी वाले इलाके में छुप जाना है कि भाई हम अपने कबीले रहे तो उन कबीले वालों की शामत आ जायेगी, वो अलग बात है कि यहाँ रहेंगे तो तुम कूटे जाओगे? पर उससे हमको क्या? हम तो सलाम के नाम पे ‘बोलो ज़ुबां केसरी’ वाला सेलुट कर देंगे।

लेकिन Avatar 2 की कहानी इन कबीलों की है ही नहीं, ये कहानी तो अगली पीढ़ी के पाँच बच्चों की है। इन पाँच को पूरा दर्जन करने में रेया उर्फ बैली बास नाम की हरी-भरी जलपरी सी प्यारी सुंदरी भी जुड़ जाती है। ये बच्चों को तैरना सिखाती है, पानी में साँस रोकने के तरीके सिखाती है, पानी में डूबकर मरना सिखाती… नहीं नहीं! ये नहीं सिखाती, ये काम नील-गाय के रिश्तेदार खुद कर लेते हैं।
अब बात डिरेक्शिन की, चाचा जेम्स ने तीन घंटे दस मिनट की फिल्म को हरसंभव तरीके से एनर्टैनिंग रखने की कोशिश की है। पर फिर भी, मैं दो बार आँखें झपकाने में कामयाब हो जाता हूँ।

स्क्रीनप्ले में रिक जफ्फा और अमांडा सिल्वर ने नये के नाम पर टुलकुन नामक एक व्हेल साइज़ की मछली को डॉल्फिन लेवल का इंटेलीजेन्ट बताया है। अबकी अबटोनियम की बजाए इस व्हेल के भेजे का सैम्पल कीमती है। बाकी वही इंसान क्रूर, करप्ट कमीन, घोड़े और निगोड़े बताए गए हैं जिन्हें नेचर की समझ नहीं आई, जिसने कोरी घास ही खाई है।

म्यूजिक औसत है।

VFX, CGI, विसुअल्स इस बार भी बेहतरीन हैं। कलर्स तो इतने हैं कि 50 shades of red की लिपस्टिक लगाने वाली कन्याएं भी कन्फ्यूज़ हो जाएं कि ये कौन सा वाला पिंक था?

एक्टिंग के मामले में नीली बिल्ली उर्फ गमोरा उर्फ ज़ो सलदाना टॉप पर रही है। कुछ एक सीन में बिल्कुल करन-अर्जुन की राखी वाला फील दिया है। वहीं हीरो नीले लाल सैमवर्थिंगटन ठन-ठन गोपाल से नज़र आए हैं। कोई एक्स्प्रेशन दमदार नहीं, कोई फील नहीं।

केट विन्सले को एक्वा ग्रीन बनाया है, इस टाइटैनिक वाली rose की ये पहली फिल्म है जिसमें ये बदसूरत लगी है। हालाँकि CGI वाला प्रेग्नेंट पेट लेकर acting अच्छी कर गई है।

Avatar 2
photo credit – Kate Winslet Ki Mausi ka ladka

बच्ची बनी बुढ़िया अम्मा सिगौरनी वीवर के कैरेक्टर किरी ने इम्प्रेस किया है। बालकों में जो-लीब्लिस हो या जेमी फ्लैटर्स, ब्रिटेन डाल्टन हो या बैली बास या फिर जैक चैम्पीयन (स्पाइडर), सभी ने बढ़िया काम किया है।

असल में ये Avatar 2 है ही बच्चों की, हम तो गधे हैं जो सुबह-सुबह बिना नहाए देखने चले गए।

एडिटर स्टीफन अगर Avatar 2 को 2 बिलाँग छोटा कर देते, मायने बीस मिनट कम कर देते तो मैं कुर्सी पर बैठे-बैठे दो झपकी न मार पाता। लेकिन ऐसे कैसे छोटी करते, सिनेमॅटोग्राफर रसेल कार्पेंटर को अपनी कैमरा कलाकारी भी तो दिखानी थी! Avatar में शुरुआती एक्शन सीन्स तो इतने रियल लगे हैं कि मानो गो-प्रो से शूट हुए हों।

सच लिखूँ तो Avatar 2 में कैमरा कलाकारी, VFX, CGI, अंट-शंट ही इतना कुछ है कि कहानी के लिए जगह ही नहीं बचती। तिसपर अंत में टाइटैनिक का मज़ा भी मिल जाता है। कितना सही है न, आप अपनी ही फिल्म से कुछ चुरा लो, कोई क्या ही बिगाड़ लेगा आपका?

फाइनल सीन्स ये भी दर्शा देते हैं कि ये परिवार की कहानी, अब पीढ़ी-दर-पीढ़ी बदला द रीवेन्ज को जन्म देगी और हम पंडोरा में वासेपुर और फैजल खान का आनंद ले सकेंगे।

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बादबाकी अगला पार्ट अनाउंस करने के बावजूद इसमें कोई भी पोस्ट क्रेडिट सीन न होना, थोड़ा अटपटा लगता है। पर खुशी इस बात की भी होती है कि इन्टरवल में जो सैंडविच मिला वो फ्रेश था।

दोस्तों, Avatar 2 का ये रिव्यू शेयर करना न भूलें, व्हाट्सएप, ट्विटर, Facebook हो या टेलग्रैम, इसको इतना शेयर कीजिए कि गोविंदा आहूजा के मोबाईल तक पहुँच जाए और भाई को पता चले कि फिल्म तो छोड़ो, रिव्यू में भी उनपर कोई नीला पेंट नहीं डालने वाला।

रेटिंग – 6/10*

सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’  


सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'

मैं सिद्धार्थ उस साल से लिख रहा हूँ जिस साल (2011) भारत ने वर्ल्डकप जीता था। इस ब्लॉगिंग के दौर में कुछ नामी समाचार पत्रों के लिए भी लिखा तो कुछ नए नवेले उत्साही डिजिटल मीडिया हाउसेज के लिए भी। हर हफ्ते नियम से फिल्म भी देखी और महीने में दो किताबें भी पढ़ी ताकि समीक्षाओं की सर्विस में कोई कमी न आए।बात रहने की करूँ तो घर और दफ्तर दोनों उस दिल्ली में है जहाँ मेरे कदम अब बहुत कम ही पड़ते हैं। हालांकि पत्राचार के लिए वही पता सबसे मुफ़ीद है जो इस website के contact us में दिया गया है।

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