Skip to content
Menu

एक समय था जब फिल्म बनाने के लिए कहानी चाहिए होती थी। अभी RAMSETU देखकर लगता है कि अब फिल्म बनाने के लिए सिर्फ मुद्दा चाहिए होता है।

आर्यन कुलश्रेष्ठ एक जाने माने स्टार archeologist हैं। ये अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा तोड़ी गई मूर्तियों को वापस इकट्ठा करने के लिए जाते हैं। वहाँ इन्हें खजाना मिल जाता है और तालिबानी हमला कर देते हैं पर आर्यन अपनी जान पर खेलकर, खजाने के साथ-साथ अपनी हेयरस्टाइल भी बिगड़ने से बचा लेते हैं और वो खजाना पाकिस्तान के साथ आधा-आधा बाँट लेते हैं। अरे नहीं नहीं! पाकिस्तान जनरल खुश होकर इनके साथ आधा बाँट लेते हैं! ये तो मोह-माया रुपये-पैसे खज़ाने-आइटम से कोसों दूर अपने शानदार फाइव स्टार कोंडो में रहते हैं।

आर्यन नास्तिक हैं, आर्यन को घंटा फ़र्क नहीं पड़ता कि बुद्ध भगवान थे या नहीं, आर्यन बस facts पर भरोसा करते हैं। आर्यन विज्ञान पर भरोसा करते हैं।

अब एक मज़े की बात जानिए, जब भी कभी फिल्मों में हीरो सरकारी दफ्तर का मुलजिम होगा, तब-तब उसका बॉस कोई नाटा-मोटा काइयाँ आदमी ही बना होगा! ये रीत है, ये ऐसा स्टेरीओटाइप है कि जैसे कोई मेक्सिकन गंजा है तो ड्रग्स कार्टेल वाला ही होगा, रशियन दढ़ियल है तो सुबह उठते ही वोदका से कुल्ला करता होगा!

Ramsetu

तो ऐसा ही एक बॉस आर्यन को कहता है कि ओ भई Fact चेकर, चल एक report बना कि Ramsetu मैनमेड नहीं बल्कि नेचर मेड है! बॉस के प्रेशर में आर्यन बिना कहीं आये-जाए न सिर्फ रिपोर्ट बनाता है बल्कि टापिंग में ये भी लिख देता है कि रामायण सिर्फ एक महाकाव्य है, इसका जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना देना नहीं!

Ramsetu
image source – Akshay kumar twitter account

आर्यन की बीवी, प्रोफेसर उर्फ नुसरत भरूचा आस्तिक है, वो टोकती भी है कि बिना रिसर्च के ये अंट शंट न बको प्यारे, पर ऐसे कैसे.., 3 महीने में पिक्चर पूरी करनी है, रिसर्च का टाइम किधर है!

उधर ढोलक जैसा बॉस, अब आर्यन को सस्पेंड कर देता है क्योंकि लोगों की भावनाओं को आहत करने के बाद, सुप्रीम कोर्ट भी हिन्दी में सुनवाई करते हुए सरकार पक्ष से कोई proper एविडेंस लाने के लिए कह देती है और Ramsetu तोड़ने से मना कर देती है।

अब सरकार को रामसेतु को फेक क्यों करार देना है?

अरे भई सिम्पलेस्ट फिल्मी ड्रामा, एक बहुत अमीर बिजनेसमैन है जिसकी पुष्पक नामक शिपिंग कंपनी के मेजर रूट में RAMSETU आ रहा है, पुष्पक नाम देकर नस्सार को आधुनिक रावण का रोल दिया गया है।

RAMSETU का लेखन लचीला है रे बाबा

आलसी लेखन की इंतहाँ देखिए आप! इस आदमी को रामेश्वरम से अपना शिप ऐसी कौन सी जगह ले जाना है जिसके लिए बीच में Ramsetu पड़ रहा है? जब सेतु शुरु ही वहीं से होता है तो आड़े कैसे आयेगा? इन्द्रकान्त बने नस्सार का दूसरा लॉजिक है कि इनका एक नया ज़बरदस्त शिप है जो तेल बहुत पीता है। अगर रामसेतु टूट जायेगा तो इनको सीधे रास्ते जाने का मौका मिलेगा और तेल कम लगेगा! अब रामसेतु से सीधा रास्ता कहाँ का है?

श्रीलंका!

जी हाँ, पर ये फिल्म 2007 से 2014 के समय पर बनी है इसलिए श्रीलंका में अभी सिवल वॉर चल रही है। और वहाँ हमारे पुष्पक शिपिंग को ट्रेड करना है!

फिर भी कोई बात नहीं, अब प्रूफ निकालने के लिए 5-6 लोगों की टीम बनाई जाती है और अक्षय कुमार को एक सूट ये कहकर दिया जाता है कि इसमें तुम iron man की तरह पानी में उड़ सकोगे! वाकई?

पर लोचा ये है कि इस iron man suit में रस्सी बंधी हुई है। ये वाला iron man पतंग की तरह उड़ता है जिसे उड़ाने वाला कभी भी वापस खींच लेता है।

पर इस बार आर्यन अपनी हेयरस्टाइल की भी परवाह नहीं करता और रामसेतु से तैरता पत्थर ले आता है।

आगे बताने को तो बहुत कुछ है पर ऐसे समझिए कि रामसेतु पत्थर की उम्र पता लगते ही आर्यन तुरंत आस्तिक हो जाता है। विलन दादा फिर निर्दयी होकर मार-कुटाई कट्टे तमंचे निकलवा देता है।

अब हमारा पुरातत्व वाला हीरो क्या बढ़िया बात कहता है कि, “अगर हम ये साबित कर दें कि रावण था, तो ये अपने आप साबित हो जायेगा कि श्रीराम भी थे और रामसेतु भी उन्होंने ही बनाया था”

Ramsetu

जैसे मैं ये साबित कर दूँ कि गोवा सिर्फ दोस्तों के न्यू year प्लान में ही नहीं, वाकई नक्शे में है, तो ये भी साबित हो जायेगा कि वास्को डी गामा मेरा मामा नहीं था!

बहरहाल, फिल्म के VFX जितने चालू कंपनी के लगते हैं, locations के सीन्स उतने ही अच्छे शूट हुए हैं। फिल्म में श्रीलंका tourism को जम के promote किया है और श्रीलंका deserve भी करता है। असीम मिश्रा की सिनिमटाग्रफी मज़ेदार है।

डेनियल का म्यूजिक भी अच्छा है, बैकग्राउन्ड का ग्रेस बनाए रखता है।

Anand देखते वक़्त जब dialogue के बीच में ‘हेमा-रेखा-दया और सुषमा’ आ जाती थीं..

रामेश्वर भगत ने एडिटिंग में ज़रा सी कोताही की है, फिल्म 10 मिनट छोटी होती या श्रीलंका जाकर जो रायता फैलाया उसे समेटने के लिए 10 मिनट और ले लेते, तो बेहतर होता।

अभिषेक शर्मा इस फिल्म के लेखक निर्देशक हैं। रामसेतु एक बढ़िया मुद्दा है। रामजी इस वक्त सबका बेड़ापार लगाने के मूड में हैं, इन्होंने थोड़ी बहुत जानकारी भी बटोरी, लेकिन स्क्रीनप्ले शायद इतनी जल्दी में लिखा कि खुद उसे पढ़ने का टाइम नहीं मिला!

अक्षय बीच-बीच में dialogue भूल गए तो वहाँ वॉयस ओवर से काम चला लिया और दूसरे कैमरा का शॉट दिखा दिया। जैकलिन को फिल्म में ले लिया, एक ऐसा कैरेक्टर भी दे दिया जिसका actually काम क्या था और उसने किया क्या, ये सब समझ से परे था!

नस्सार के पास सीमित समय था, उसमें उन्होंने अच्छी acting कर ली। नुशरत भी अपना रोल बढ़िया निभा गईं।

Ramsetu

अंजनी पुत्र/ अँजनायन पुष्पकुमारन उर्फ एपी बने सत्यदेव फिल्म की सारी फुटेज ले गए लेकिन, वो तमिल नाडु में हैदराबादी ऐक्सेन्ट क्यों बोल रहे थे, ये समझ नहीं आया!

कुलमिलाकर इस अच्छे टॉपिक पर, बढ़िया मेहनत कर, रिसर्च मारकर फिल्म बनाई जाती तो बहुत शानदार हो सकती थी पर मगर परंतु, फिल्म सिवाये राम और RAMSETU को कैश करने के कुछ नज़र नहीं आती। अंत में काँग्रेस रूपी सेंट्रल गवर्नमेंट को तालिबान कहकर, मेरी नज़र में राइटिंग यूनिट ने अपनी बची-खुची भद भी पिटवा ली।

RAMSETU अच्छी लग सकती है अगरचे आप – कोर बीजेपी सपोर्टर हो, डाई हार्ड अक्षय फैन हो, जैकलिन के लिए जान दे सकते हो या – रोटी को चोची बोलते हो।

RAMSETU बिल्कुल पसंद नहीं आनी अगरचे – रामसेतु, रावण की लंका, इतिहास ऑफ श्रीलंका और बढ़िया logical twists देखने/जानने के लिए उत्सुक हो।

मेरा सजेशन – ये RAMSETU amazon prime पर खुलेगा, आप वन टाइम watch समझकर तब अपनी आग बुझा सकते हो।

रेटिंग – 4/10*

सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’

Disclaimer – इस लेख में किसी भी कलाकार / लेखक / निर्देशक / गीतकार / गायक / अभिनेता / अभिनेत्री / या किसी भी व्यक्ति विशेष की निंदा या प्रशंसा नहीं की गई है। यह लेख / समीक्षा सिर्फ कला या कृति की समीक्षा है जो अच्छी या बुरी हो सकती है और यह अच्छा या बुरा भी मात्र लेखक का अपना विचार है। कृपया कोई भी व्यक्ति विशेष इसे अपनी प्रशंसा समझ हर्षित या निंदा समझ हतोउत्साहित न हो।

सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर'

मैं सिद्धार्थ उस साल से लिख रहा हूँ जिस साल (2011) भारत ने वर्ल्डकप जीता था। इस ब्लॉगिंग के दौर में कुछ नामी समाचार पत्रों के लिए भी लिखा तो कुछ नए नवेले उत्साही डिजिटल मीडिया हाउसेज के लिए भी। हर हफ्ते नियम से फिल्म भी देखी और महीने में दो किताबें भी पढ़ी ताकि समीक्षाओं की सर्विस में कोई कमी न आए।बात रहने की करूँ तो घर और दफ्तर दोनों उस दिल्ली में है जहाँ मेरे कदम अब बहुत कम ही पड़ते हैं। हालांकि पत्राचार के लिए वही पता सबसे मुफ़ीद है जो इस website के contact us में दिया गया है।

2 Comments

  1. Rajan sharma
    October 27, 2022 @ 6:17 PM

    Review padhne k baad ab dekhne ka plan cancle,aaj abhi dekhnE jane ka plan tha

    Reply

  2. Vijay Pratap Singh
    November 1, 2022 @ 8:30 AM

    हमेशा की तरह बहुत बेबाक रिव्यू, सहर जी

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Stop Copying ....Think of Your Own Ideas.