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Kahaniyo Ke Dastakhat, इस नाम में ही इस पुस्तक का सार छुपा है। कहानियां जो आपके मन मस्तिष्क पर छाप छोड़ जाए, कहानियां जो आपके दिल–ओ–दिमाग पर अपना दस्तखत कर जाए। यह पुस्तक एक कहानी संग्रह है जिसे लिखा है गौरव कुमार निगम ने जो एक पेशेवर लेखक और “निगम ब्रांड मैनेजमेंट” कंपनी के मालिक भी हैं।
इस किताब में कुल 17 कहानियां हैं जो खुद में एक पूरा संसार समाये बैठी हैं।
kahaniyo ke dastakhat
पहली कहानी ‘विषधर’ ही आपके दिल में अपना घर कर जायेगी। यह कहानी एक सपेरे मंगल की कहानी है जो लाला के यहां सांप पकड़ने जाता है और वहां से लौटता है ग्लानि और दोष लेकर…. अपने पेशे और ग्लानि के बीच झूलता मंगल अगले सुबह ही चल देता है अनंत पथ पर। मंगल कैसे मरता है उसके साथ क्या होता है ये पढ़ने योग्य है, मैं एक भी स्पॉयलर नहीं देने वाली। ऐसी और 16 कहानियां हैं इस किताब में सबका तो नहीं लेकिन कुछ का जिक्र मैं आगे कर रही हूं।
‘बाभन का आशीर्वाद’ पढ़कर आपको अपने बचपन का प्यार याद आ जायेगा। राजाराम त्रिपाठी एक बड़े आम के बगीचे के मालिक हैं जिनके बगीचे में एक चोर घुस आता है अब ये चोर कौन है और राजाराम का इस चोर से क्या नाता है पढ़ने योग्य है।
ऐसे ही 2 और प्रेम कहानियां है ‘इश्क यूं हीं’ और ‘बड़ा मंगल’ दोनो कहानियां अपने आप में अलग और रोमांचक हैं।
अब आपलोग सोच रहे होंगे सिर्फ प्रेम कहानियों का जिक्र कर रही हूं इस पुस्तक में सिर्फ प्रेम कहानियां हैं क्या?
जी नहीं, जीवन के हर एक पहलू को छूता है ये कहानी संग्रह…. ‘हिजड़ा’ कहानी आम जिंदगी में हो रहे अत्याचारों पर कुठाराघात करती है तो ‘काम का शास्त्र’ कहानी बच्चियों के हो रहे यौन शोषण को उजागर करती है वहीं ‘स्मार्ट और फोन’ टेक्नोलॉजी के उपयोगिता को सिद्ध करता है। ‘पतंग और पूरियां’ गरीबी और भूख से लड़ते एक एक अम्मा की कहानी बयां करता है।
इसी बीच एक कहानी ऐसी भी आती है जो सही और गलत, अच्छे और बुरे, शिकार और शिकारी का फ़र्क मिटा देती है। इस कहानी में एक वेश्या किस तरह एक तन्हा लड़के को ‘बकरा’ बनाने निकलती है और आगे चलकर किस तरह पासा पलटता है, वो पढ़ने योग्य है। कहानी की शुरुआत और अंत, दो ध्रुवों पर होता है और पढ़ने के बाद मुँह से एक ही बात निकलती है – ‘वाह’
किताब की भाषा की बात करें तो पढ़कर आपको प्रेमचंद की कहानियों की याद आने वाली है। बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखी गई है ये किताब। मेरे हिसाब से लेखक वो है जिसकी लेखनी से पाठक जुड़ाव महसूस करें जिसकी कहानियों में पाठक अपना अंश देखे।
 गौरव जी की लेखनी ने ये काम बखूबी किया है। आप एक बार कहानियां पढ़ना शुरू करेंगे तो बस पढ़ते जायेंगे बशर्ते आप एक अच्छे पाठक हों। इस किताब में अशुद्धियां नाम मात्र हैं। आप इस किताब को भरपूर एंजॉय करने वाले हैं।
बात करें किताब की तो इसका कवर आकर्षक लगता है लेकिन जैसे ही मैने कवर को पलटा तो बहुत ही छोटे अक्षरों के लिखी कहानियां मुझे हल्का सा विचलती कर गई क्योंकि मैं जहां 120 पेज की कहानी संग्रह सोच के इसे पढ़ना शुरू की थी ये लगभग 240+ पेजों की कहानी संग्रह हो गया।
फिर भी कोई भी कहानी आपको उबाऊ या बोरिंग नहीं लगेगी। गौरव जी को बधाई एक लेखक के तौर पर उन्होंने अपना काम बखूबी किया है।
मुझे यह किताब मात्र 500 रुपये में 5 किताबों के ऑफर पर साहित्य विमर्श की वेबसाइट पर मिली थी। आप भी कोशिश कीजिए, शायद आपको भी डिस्काउंट मिल जाए.
amazon पर इस वक़्त डिलीवरी चार्ज फ्री है।

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