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फिर धीरे-धीरे Bollywood फिल्में राम के किरदार को एक अलग ही तरीके से पोट्रे करने लगी। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘राम-लीला’ में राम के किरदार में छिछोरापन, नशेबाजी, गुंडई करते

Bollywood हो या Tollywood, कहते हैं कि राम तो सबके हैं। कौन बनेगा करोड़पति में भी एक मुस्लिम कॉनटेस्टेंट से जब रामायण से जुड़ा कोई सवाल हुआ तो उसने झट से बता दिया क्योंकि राम और रामायण के बारे में वो भी बहुत अच्छे से जानता है। हर पढ़ने लिखने सुनने जानने वाला, राम से, राम की महिमा से अपरिचित नहीं हो सकता। 

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 टीवी इंडस्ट्री में श्रीरामानंद सागर की रामायण एक ऐसा मील का पत्थर है जिसके आगे हर धारावाहिक छोटा नज़र आने लगता है। मेरे मात-पिता बताते थे कि जिस वक़्त रामायण दूरदर्शन पर आती थी, तब गलियों में ऐसा सन्नाटा होता था कि मानों कर्फ्यू लगा हो। सभी समय से पहले टीवी के सामने हाथ जोड़कर बैठ जाते थे। रामायण के किरदार निभाने वालों को भी दर्शक अपना भगवान ही मानते थे। अरुण गोविल जी से मिलते वक़्त तो आज भी लोग उनके पैर छूते हैं। ऐसे ही बाकी कलाकार जहां भी जाते वहां उनका स्वागत और आदर सत्कार ऐसे ही किया जाता था जैसे वो भगवान राम का करते थे।

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वहीं धीरे धीरे अलग अलग चैनलों पर रामायण आनी शुरु हुई और हमें कई कलाकार भगवान राम के किरदार में दिखाई दिए। लेकिन किसी में वो बात नहीं थी जो श्रीरामानंद सागर के रामायण में थी। न ही दर्शकों में वो भक्ति भाव रह गया था जो उन्हें सारा काम छोड़कर टीवी के सामने बांध सके। 

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फिर धीरे-धीरे Bollywood फिल्में राम के किरदार को एक अलग ही तरीके से पोट्रे करने लगी। संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘राम-लीला’ में राम के किरदार में छिछोरापन, नशेबाजी, गुंडई करते दिखाया गया जो लड़की के पीछे भागता है। नाम, राम का और हरकतें रावण की थी। 

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वहीं एक समय ऐसा भी आया जब यंग जनरेशन रावण के किरदार की तरफ आकर्षित होने लगी। यूथ में ऐसी धारणा बनने लगी थी कि रावण के किरदार में वेरिएशन है और राम का किरदार आसान है। उनके कैरेक्टर में लिमिटेशन है लेकिन रावण की कोई हद नहीं है। वो किसी भी परिस्थिती में बंधा नहीं है। Bollywood में बनी मणिरत्नम की रीमेक फिल्म ‘रावण’ जैसी फिल्मों ने भी ऑडियंस पर गहरा असर छोड़ा था। इस फिल्म में रावण के किरदार को पीड़ित और राम को घमंडी और heartless दिखाया गया था। 

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 इसके अलावा साल 2011 में रिलीज हुई फिल्म Ra. One में जीवन और रावण एक वीडियो के गेम का हिस्सा दिखाया है जहां जीवन उर्फ राम को रावण के खिलाफ लड़ना पड़ता है लेकिन रावण को जीवन से कई गुना ताकतवर बताया है। फिल्म में ऐसा दिखाया गया कि एक बच्चा ऐसा चाहता है कि हमेशा विलन न मरे बल्कि हीरे भी हारे। मतलब हमेशा सच्चाई नहीं बल्कि बुराई भी जीते। फिल्में जो सोसाइटी का आइना है वो ऐसी धारणा बच्चों के दिमाग में डालने की कोशिश कर रहा है। वहीं फिल्म में जीवन का किरदार कार्टून जैसा दिखाया गया है।   

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यही सब कारण है कि श्रीराम को सही तरीके से पेश करने में Bollywood विफल रहा है। हालांकि कुछ ही समय पहले रिलीज हुई तेलुगु फिल्म ‘RRR’ में राम चरण द्वारा निभाए गए राम राजू का भगवान राम अवतार दर्शकों के दिल को छू गया। लम्बे समय से राम के रूप को दर्शाने में फिल्म इंडस्ट्री नाकाम रही, उसे राजामौली ने दर्शकों के बीच ऐसे पेश किया कि लोग सीट से उठकर तालियाँ बजाने लगे और जय श्रीराम के नारे लगाने लगे और फिल्म की कमाई करोड़ों से अरबों में पहुँच गई। 

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जबसे Bollywood की हवा बदली है, तबसे एक के बाद एक देश और संस्कृति से जुड़ी फिल्मों की घोषणा हो चुकी है। 2023 में अभिनेता प्रभास की फिल्म आदिपुरुष आने वाली है जीसे तनाजी फेम ओम राउत डायरेक्ट कर रहे हैं वहीं अक्षय कुमार की फिल्म राम सेतु भी पोस्ट production में आ चुकी है। ये दोनों ही फिल्म भगवान राम के इर्द-गिर्द घूमती है। 

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अब ये सवाल आपसे है कि क्या बदली हवा के चलते प्रभास की आदिपुरुष और अक्षय कुमार की राम सेतू श्रीराम नाम को सफल कर सकेगी या इन फिल्मों में भी कोई न कोई आहत करने वाली बात निकल आयेगी जिसके चलते फिल्मकार को कोन्ट्रोवर्सी भुनाने का मौका मिलेगा? 

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प्रगति राज

 

 


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